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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भ्रष्टाचार का पर्याय बन चित्तौड़गढ़ डेयरी प्लांट लगातार मामले सामने आने से चर्चा में बना हुआ है। किसानो की कमाई को दोनों हाथों से ठेकेदारों में लूटाने का खुला खेल चल रहा है। हाल दिए हैं कि महज ढाई हजार की कमाई के लिए ठेकेदार को हजारों का भुगतान किया जा रहा है। और इस सारे खेल का मास्टरमाइंड विधि विरुद्ध तरीके से लगाया गया एक्सपायरी डेट अनुभवी अरविंद गर्ग प्रतीत हो रहा है। किसानों के हित के लिए संचालित किया जाने वाला यह उपक्रम केवल भ्रष्टाचार और ठेकेदारों के फायदे के लिए चलाया जाता प्रतीत हो रहा है। और लगातार मामले सामने आने के बावजूद कार्रवाई नहीं होना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी इस मामले में मोन स्वीकृति देकर शह दे रहे हैं। इससे प्रतीत हो रहा है कि किसानों के हित से ना तो डेयरी अधिकारियों में प्रशासन और न जन प्रतिनिधियों को कोई लेना देना है।
यह है मामला
चित्तौड़गढ़ डेयरी द्वारा बिक्री बढ़ाने के लिए कुनाल दोलतानी के नाम पर एक वर्क आर्डर जारी किया गया जिसमें एक मोबाइल पार्लर चालू किया जाना था। इसके लिए 6 महीने की अवधि निर्धारित की गई। जिसमें जून से सितंबर के लिए 40000 और सितंबर से नवंबर के लिए ₹35000 लक्ष्य रखा गया लेकिन इस वर्क आर्डर में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि यह लक्ष्य मासिक है त्रैमासिक है या फिर 6 महीने का है। पहले महीने में ही इस योजना के जरिए डेयरी संघ के स्थान पर खुलकर सामने आ गई। खुदरा विक्रय के लिए होलसेल दर पर सामान उपलब्ध करवाया गया कुल 85721 रुपए का खरीदा गया जिसमें 4373 रुपए का फायदा ठेकेदार को कमीशन के जरिए हुआ वहीं 27 दिन के लिए चलाए गए इस मोबाइल पार्लर का 1250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से डेयरी द्वारा दिया जाने वाला 33750 रुपये बना। यानी की ठेकेदार की कुल कमाई 38123 हुई वही डेयरी को महज इतनी बिक्री पर 3% के हिसाब से 2571 रुपये का फायदा हुआ है। इससे साफ है कि डेरी का नुकसान हो तो भले ही हो जाए लेकिन ठेकेदारों को फायदा होना चाहिए इसके लिए काम किया जा रहा है।
इसलिए बेपरवाह प्रभारी गर्ग
लगातार अलग-अलग मामलों में भूमिका सामने आने के बाद भ्रष्टाचार के शरणदाता के रूप में दिखाई पड़ रहे मार्केटिंग के प्रभारी एक्सपायरी डेट विधि विरुद्ध अनुभवी ठेके पर कार्यरत अरविंद गर्ग को मानो डेयरी से कोई लेना-देना नहीं है। उनकी कार्यशैली शुरू से ही इस उपक्रम को नुकसान पहुंचाने की रही है लेकिन जांच होने पर भी सरकार इस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। क्योंकि सरकार की सेवानिवृत्ति के बाद समस्त वेतन पर लाभ प्राप्त करने के बाद यहां ठेके पर काम कर रहे गर्ग को केवल यहां से हटाने के अतिरिक्त अब सरकार उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है और यह बात वह अच्छी तरह से जानता है इसलिए प्रतिदिन डेयरी को नुकसान पहुंचाने की दिशा में कार्यरत है। लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी जो सरकार की मंशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उन पर सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है। इस मामले में जांच के बाद भले ही गर्ग का कुछ भी बिगड़ने की संभावना कम है लेकिन अधिकारियों से संघ को हुए नुकसान की भरपाई और विभागीय कार्रवाई निश्चित रूप से होगी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। फिलहाल देखने वाली बात यह होगी कि सीधे-सीधे आर्थिक नुकसान पहुंचाने के मामले में जिस पर वर्क आर्डर पर खुद गर्ग के हस्ताक्षर है पर क्या कार्यवाही की जाती है।