चित्तौड़गढ़ - चलो बाँटे ज्ञान ,ओपीडी समय में काटे श्वान!
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कार्मिक का बयान इमरजेंसी में ढंग से नहीं देखते हैं चिकित्सक

सुभाष चंद्र बैरागी

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अगर आपको कोई श्वान काटने वाला है तो सावधान हो जाए और पहले उसे ज्ञान दें की रुक जा मुझे अस्पताल के ओपीडी टाइम में काट लेना। और यदि संभव हो तो संबंधित श्वान से अपॉइंटमेंट लेकर ही अपने आप को कटवाए। जी हां यह सब इसलिए है क्योंकि यह ज्ञान जिले के सबसे बड़े अस्पताल से दिया जा रहा है। और उसके पीछे तर्क यह है कि आपातकालीन सेवाओं के दौरान बैठने वाले चिकित्सक योग्य नहीं है। दरअसल चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश वैष्णव और खुद जिले के जिला कलेक्टर आलोक रंजन चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। लेकिन चिकित्सालय में काम करने वाले कार्मिको को मानो उनकी भावना से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा ही एक मामला एंटी रेबीज वैक्सीन जो श्वान के किसी इंसान को काट लेने पर लगाया जाता है इसको लेने के दौरान सामने आया है। जब श्वान के कांटे जाने पर टीका लगवाने पहुंचे तो दवा वितरण पर लगे नर्सिंग कर्मी ने शाम 8:00 बजे जब टीका लगवाने पहुंचे तो पहले तो यह ज्ञान दिया कि इसके लिए ओपीडी टाइम में आना चाहिए। बाद में इमरजेंसी काउंटर पर तैनात महिला कार्मिक ने स्पष्ट शब्दों में यह कहा कि शाम के समय डॉक्टर सही नहीं देखते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इंसान को तो यह समझाया जा सकता है कि अस्पताल में ओपीडी टाइम अलग होता है लेकिन श्वान को यह कैसे समझा सकते हैं की कि उसे अगर किसी इंसान को काटना है तो ओपीडी टाइम का ध्यान रखें। इसलिए ऐसी स्थिति में यह इंसान की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह काटने से पहले उसे समझाएं और यदि संभव हो तो अपॉइंटमेंट लेकर ही कटवाए जिससे योग्य चिकित्सक और आवश्यक दवा उपलब्ध हो सके। साथ ही इसका एक समाधान यह भी है कि श्वान को प्रशिक्षित करने वाले प्रशिक्षक प्रशासन उपलब्ध करवाई जो इस बात की ट्रेनिंग श्वान को दे की यदि उसे किसी इंसान को काटना है तो उसे ओपीडी टाइम में काटे। हालांकि इसकी पूरी कार्य योजना बनाने के लिए सरकार को पूरा आयोग यह कमेटी बनानी पड़ेगी।

यह है मामला


दरअसल 13 नवंबर को श्वान
के काटे जाने पर एक किशोर को चिकित्सालय लेकर गए। जहां मौजूद चिकित्सको ने प्राथमिकता से उपचार किया और एंटी रेबीज के लिए लगाए जाने वाली टीके की डोज का चार्ट बना कर दिया। जब दूसरी डोज लगवाने के लिए परिजन पहुंचे तो वहां तैनात दवा वितरण काउंटर नंबर 4 के कार्मिक दिलीप खटोड़ ने यह बताया कि यह डोज ओपीडी टाइम में लगवाने के लिए कहा था। जब परिजनों ने इसका कारण पूछा तो वहां कार्यरत महिला द्वारा बताया गया कि इमरजेंसी समय में देखने वाले डॉक्टर ढंग से नहीं देखते हैं। इसलिए ओपीडी में जरूरी है। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर श्वान कोई यह कैसे समझाएं की अस्पताल की कार्मिक यह कह रहे हैं इमरजेंसी में डॉक्टर अच्छे नहीं होते हैं इसलिए वह यदि किसी इंसान को काटना चाहता है तो उसे ओपीडी टाइम में काट दे ताकि अच्छे डॉक्टर मिल सके।

इमरजेंसी ड्यूटी के लिए चिकित्सालय बनाये कमेटी !
वैसे तो जानकारी में सामने आया है कि चिकित्सालय में रोस्टर के अनुसार इमरजेंसी में चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है। लेकिन यदि कार्मिकों का बयान सही है तो ऐसे में रोस्टर बनाने वाले प्रभारी भी इमरजेंसी का ड्यूटी चार्ट बनाने से पहले उन कार्मिकों से पूछे जिनकी योग्यता चिकित्सकों से कम है। ताकि वह उन्हें अच्छे से बता पाए की कौन सा चिकित्सक है जो अच्छा है और मरीजों के लिए उपचार करने योग्य है। क्योंकि वैसे भी दवा राजस्थान की चिकित्सा सेवाएं लंबे समय से चर्चा में है। और ऐसी स्थिति में यदि कार्मिक चिकित्सकों के बारे में इस प्रकार के बयान देते हैं तो इस समस्या के समाधान के लिए एक कमेटी बनाया जाना अधिक उपयुक्त है जिनके सदस्य और अध्यक्ष के रूप में दवा वितरण करने वाले ऐसे व्यक्ति जो चिकित्सकों की योग्यता का विशेष परीक्षण कर सकते हैं उन्हें मनोनीत किया जाना चाहिए।

एंटी रेबीज है वैक्सीन


श्वान के काटे जाने पर लगाए जाने वाला इंजेक्शन एक वैक्सीन है। जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में टीका कहा जाता है। यह मरीज को संक्रमण से बचाने में प्रभावी भूमिका निभाता है। कई बार वैक्सीन लगाने से बुखार आने या अकड़न जैसी समस्या हो जाती है ऐसी स्थिति में चिकित्सक से परामर्श के बाद टीके के लगाने के घंटे या दिन में परिवर्तन किया जाता है। जिसकी अनुशंसा चिकित्सक करते हैं ना कि नर्सिंग कार्मिक या हेल्पर के तौर पर सेवाएं देने वाले कार्मिक करने में सक्षम है। इससे स्पष्ट है कि इसके लाभ हानि के परिणाम चिकित्सक को पता होते हैं लेकिन अपनी सहूलियत के लिए श्वान को ज्ञान देने वालों को यह बात कैसे समझाई जा सकती है।

......तो बनाना पड़ेगा आयोग!


ऐसी स्थिति में जब अस्पताल में काम करने वाले कार्मिक इस प्रकार का ज्ञान दे रहे हैं, तो इसे अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार को एक पूरा आयोग बनाना पड़ेगा। जो श्वानो के लिए इस प्रकार की योजना बनाएगा कि उन्हें किस प्रकार प्रशिक्षित किया जा सकता है। साथ ही समय सारणी की पालना के लिए विशेष विजिलेंस कमेटी भी बनानी होगी जो ऐसे श्वान की पहचान करें जो घोषित समय के अतिरिक्त दूसरे समय पर किसी इंसान को काट लेता है। क्योंकि उसे एक संबंध में नोटिस भी देना पड़ेगा जिससे वह श्वान इस बात का कारण बताया कि उसने सरकार के नियमों की पालना क्यों नहीं की है। और कारण स्पष्ट होने पर यदि कारण उचित है तो सरकारी नियमों के अनुसार उचित शिथिलन दिया जाएगा और कारण उचित नहीं होने पर जुर्माना या अन्य कोई कार्रवाई प्रस्तावित करने की अनुशंसा की जाएगी।


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