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सीधा सवाल। निंबाहेड़ा।
राजपूत समाज ने उपखंड अधिकारी निंबाहेड़ा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए राणा पूंजा सोलंकी के इतिहास को विकृत करने के प्रयासों पर गहरा आक्रोश जताया है। ज्ञापन में कहा गया है कि राणा पूंजा सोलंकी, पानरवा के क्षत्रिय राजपूत शासक थे, जिन्होंने महाराणा प्रताप के परम सहयोगी के रूप में हल्दीघाटी युद्ध में भील व राजपूत संयुक्त सेना का नेतृत्व करते हुए अहम भूमिका निभाई थी।
ज्ञापन में यह आरोप लगाया गया कि वर्तमान में राजनीतिक षड्यंत्रों व वोट बैंक की राजनीति के चलते राणा पूंजा को भील समाज से संबंधित बताया जा रहा है और इसी के चलते भोपालसागर चौराहे पर उनकी स्थापित प्रतिमा को आदिवासी वेशभूषा में दिखाया गया है। राजपूत समाज ने इसे सम्पूर्ण समाज का अपमान बताया है।
राजपूत समाज ने यह भी स्पष्ट किया कि राणा पूंजा सोलंकी के क्षत्रिय राजपूत होने के प्रमाण जैसे पट्टे, परवाने, शिलालेख व अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज आज भी पानरवा में उनके वंशजों के पास उपलब्ध हैं।
राजपूत समाज ने मांग की है कि या तो उक्त मूर्ति को वहां से हटाया जाए या फिर उसे राजपूत समाज की पारंपरिक वेशभूषा में पुनः स्थापित किया जाए। अन्यथा 29 मई को मेवाड़ के समस्त क्षत्रिय राजपूत समाज द्वारा भोपाल सागर में कार्यक्रम से दूरी बनाकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ज्ञापन सौंपने के दौरान मेवाड़ क्षत्रिय महासभा अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह धीनवा, भारत सिंह खोर, लक्मण सिंह बड़ोली, कुलदीप सिंह डाबला, भारत सिंह चोगावड़ी, नाहर सिंह देवड़ा, रणजीत सिंह नारेला, कैलाश सिंह, अरविन्द सिंह बड़ोली, दीपक सिंह बड़ोली, अरविन्द सिंह अरनोदा, समुन्दर सिंह गुंदुसर, कमल सिंह धीनवा, कुलदीप सिंह झाला, रविराज सिंह भावलिया, राजेन्द्र सिंह मांगरोल सहित निंबाहेड़ा तहसील व चित्तौड़गढ़ जिले मेवाड़ के बड़ी संख्या में क्षत्रिय राजपूत समाज के सदस्य उपस्थित रहे।