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मार्केटिंग मैनेजर की नियुक्ति पर खड़े हो रहे सवाल

सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। सहकारिता क्षेत्र का किसानों का हितधारक एक बड़ा उपक्रम सरस का चित्तौड़गढ़ डेयरी संयंत्र भ्रष्टाचार के निशाने पर है। पहले भीलवाड़ा उसके बाद निजी कंपनी और अब विधि विरुद्ध तरीके से सरस डेयरी में ठेके पर मार्केटिंग मैनेजर लगाए गए अरविंद गर्ग को लेकर प्रतिदिन नई जानकारियां सामने आ रही है। और ऐसे में ठेके की नियुक्ति और उनका ओहदा अनियमितता करने वालों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। एक और जहां नियम विपरीत तरीके से ठेकेदारों द्वारा नए वाहन के स्थान पर पुरानी गाड़ियां लगाने के मामले में जांच को लेकर डेयरी नवनियुक्त जनसंपर्क अधिकारी के पास कोई जानकारी नहीं है। वहीं दूसरी और ठेके पर मार्केटिंग मैनेजर लगाए गए अरविंद गर्ग की सरकार सरकार द्वारा निश्चित की गई आयु पार होने के बाद की गई नियुक्ति सवालों के घेरे में है। इस मामले में जो बड़ी जानकारी सामने आई है उसे लगने लगा है कि इस नियुक्ति को लेकर सारे नियम बाईपास किए गए हैं। स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों की इस नियुक्ति को लेकर स्वीकृति भी नहीं ली गई है। इससे साफ है कि डेयरी में अतिरिक्त कार्यभार पर कार्य कर रही एमडी प्रमोद चारण भी इस अनियमिता के मामले में मूकदर्शक बनकर मौन स्वीकृति दे रही है। वहीं इससे यह भी लगने लगा है कि गर्ग की नियुक्ति डेयरी के लिए भले ही फायदे का सौदा नहीं है लेकिन नियम विरुद्ध काम करने वालों के लिए चांदी की टकसाल साबित हो रही है। वही इस पूरे मामले में विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारियों की चुप्पी भी बड़ी मिली भगत की ओर इशारा कर रही है। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस पूरे घपले घोटाले और गड़बड़ी में ठेकेदारों के साथ-साथ सरकार से जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी किस प्रकार उपकृत है और इसके जरिए सहकारी क्षेत्र के किसानों के उपक्रम को कितना चूना लगाया गया है यह बड़ी जांच का विषय है। लेकिन जांच के नाम पर जिस तरह औपचारिकता की जा रही है उसे लगने लगा है कि कमीशन की बंदर बांट से सबके मुंह सिले हुए है।
निजी की बढ़ रही बिक्री सरस की खपत कम!
बीते 3 महीनों की यदि बात की जाए तो डेयरी में हुए घटनाक्रम के चलते सरस की खपत कम पड़ रही है। और निजी कंपनियों को लगातार बढ़त मिल रही है। पहले जहां सरस का दूध और दुग्ध उत्पादों में एकाधिकार था वहीं अब पांच अन्य कंपनियां लगातार सक्रिय हो रही है और सरस की मांग का ग्राफ निरंतर गिर रहा है। चित्तौड़गढ़ में एक कंपनी में अपने अनुभव का फायदा देने के बाद अब सरस के साथ अपना अनुभव साझा कर रहे नियम विरुद्ध नियुक्त अनुभवी अरविंद गर्ग की कार्यशैली मानो सरस को नुकसान पहुंचाने वालों के हितधारक की प्रतीत हो रही है।
चरम पर ठेकेदारो की मनमानी जांच रिपोर्ट का इंतजार
सरस डेयरी में वितरण करने वाले वाहन ठेकेदारों की मनमानी चरम पर है। निर्धारित वाहनों के स्थान पर दूसरे पुराने और खटारा वाहनों से सप्लाई करना अपने स्तर पर नॉन इंसुलेटेड गाड़ियां लगाना जैसे मामलों में ठेकेदार सांवरलाल जाट, कवि शंकर आचार्य, पूजा आचार्य, राजेश ककड़ा अशोक उपाध्याय, ओम प्रकाश जाट की स्थिति ऐसी है कि चोरी और सीना चोरी करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। चित्तौड़गढ़ डेयरी में अनुबंध पर लगाए गए वाहन भीलवाड़ा में संचालित हो रहे हैं। जिन पर एमडी चारण ने दावा किया था कि इन पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी उनको मानो आवश्यक सेवा में शामिल होने का बहाना बनाकर गर्ग शरण दे रहे हैं और जांच के लिए बिल्ली को ही दूध की रखवाली दे दी गई है।ऐसे में लगने लगा है कि राजनीति का अखाड़ा बनी चित्तौड़गढ़ डेयरी भ्रष्टाचार का समंदर बन गई है जिसका कोई ओर छोर नही है।
किराए पर सरस के बूथ नगर परिषद भी चुप
चित्तौड़गढ़ डेयरी में विभिन्न योजनाओं के तहत आवंटित किए जाने वाले सरस के केबिन किराए पर चल रहे हैं। जहां सरस के स्थान पर अन्य वस्तुओं की बिक्री हो रही है लेकिन इसे लेकर जहां एक्सपायरी डेट अनुभवी गर्ग के नेतृत्व में डेयरी की और से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है वहीं दूसरी ओर नगर परिषद भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। ऐसी स्थिति में सरस के उत्पादो की बिक्री में गिरावट हो रही है वहीं दूसरी और गर्ग के अनुभव पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
समझ से परे एमडी चारण की चुप्पी!
लगातार सरस में गड़बड़ियां सामने आने के बावजूद कहीं पुराने कार्मिक होने पर भी 3 महीने पहले नियम विरुद्ध लगाए गए एक्सपायरी डेट अनुभवी गर्ग द्वारा जांच करवाया जाना और जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी देने के स्थान पर चुप्पी साध लेने से एमडी की कार्य प्रणाली भी संदेह के घेरे में आ रही है। सूत्रों ने बताया कि सहकारिता मंत्री गौतम दक और उनके विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंदी रहे डेयरी संघ के अध्यक्ष बद्रीलाल जाट के बीच खींचतान चरम पर है। ऐसी स्थिति में मंत्री के इशारे पर चारण को यहां का चार्ज दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद इतनी गंभीर अनियमिताओं पर कोई कार्यवाही नहीं होना सहकारिता मंत्री दक की मंशा पर भी पलीता लगाने जैसा प्रतीत हो रहा है। इस डेयरी में अध्यक्ष की कार्यशैली और गड़बड़ियों को लेकर मंत्री गौतम दक हमलावर रहे हैं । ऐसी स्थितियों में लंबे समय से जमें ठेकेदारों के विरुद्ध जांच और कोई कार्रवाई नहीं होना सहकारिता मंत्री दक सहमति से कार्यरत एमडी प्रमोद चारण की मंशा और कार्य शैली पर भी सवाल खड़े करता है।
स्क्रीनिंग कमेटी के पास नियुक्ति के लिए सूचना आनी चाहिए लेकिन मुझे कोई सूचना नहीं मिली है। ना ही इस नियुक्ति के बारे में मुझे कोई जानकारी है।
कमलेश मीणा स्क्रीनिंग कमेटी सदस्य