views

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय पर दुर्ग के संरक्षण को लेकर कुछ लोगों की और से हुई पत्रकार वार्ता में दुर्ग पर अवैध अतिक्रमण के मुद्दे को लेकर, जहां बचाव करते दिखाई दिए। वहीं दुर्ग की तलहटी में स्थित मानपुरा में अवैध ब्लास्टिंग पर चुप्पी साधे रहे। वहीं दूसरी ओर इसके माध्यम से बिरला सीमेंट के विरुद्ध मोर्चा खोलने का प्रयास साबित करते दिखे। दरअसल पूर्व जिला प्रमुख भूपेंद्र सिंह बडोली, खनन व्यवसाय से जुड़े, कान सिंह राठौड़ सेवानिवृत्ति व्याख्याता लोकेंद्रसिंह चुंडावत की मौजूदगी में इस पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। पत्रकार वार्ता के दौरान लोकेंद्रसिंह चुंडावत ने दुर्ग के ऐतिहासिक महत्व को लेकर जानकारी देते हुए इसके ऐतिहासिक महत्व और खनन से होने वाले नुकसान को लेकर प्रकाश डाला। वहीं खनन व्यवसाय से जुड़े कानसिंह राठौड़ ने क्षेत्र में दुर्ग की परिधि से 10 किलोमीटर की दूरी पर लगी रोक को लेकर उसे यथावत रखने की मांग मीडिया के माध्यम से उठाई। पूर्व जिला प्रमुख भूपेंद्रसिंह ने दुर्ग के संरक्षण के लिए सभी द्वारा सामूहिक प्रयास करने की बात कही गई। वहीं मीडिया ने जब सवाल किया कि दुर्ग को नुकसान अवैध अतिक्रमण से भी हो रहा है। हाल ही के वर्षों में काफी अतिक्रमण हुवे हैं, जिसके खिलाफ आवाज उठाने को कहा। लेकिन इस मुद्दे पर ना तो पूर्व जिला प्रमुख और ना खनन व्यवसाई स्पष्ट जवाब दे पाए।
विरासत के बहाने उद्योग पर निशाना
राजपूत समाज के जागरूक नागरिकों द्वारा हुई पत्रकार वार्ता की बात कहते हुए जहां इस दौरान बिरला सीमेंट के खनन पर निशाना साधा गया। वहीं ऐतिहासिक धरोहर पर अतिक्रमण से होने वाले नुकसान पर कोई बात नहीं की गई। गौरतलब है कि लगातार ऐतिहासिक धरोहर पर होटल, रेस्टोरेंट, स्विमिंग पूल, हेंडीक्राफ्ट जैसे व्यवसायिक निर्माण किए जा रहे हैं। इनके निर्माण के लिए खुदाई भी भारी मशीनों का प्रयोग दुर्ग को नुकसान पहुंचा रहा है। इसे लेकर मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर दुर्ग के संरक्षण की जन जागृति की बात देने वाले प्रबुद्ध जन कोई जवाब नहीं दे पाए। इस संबंध में पहले तो अभिज्ञता जाहिर की। वहीं उसके बाद इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए ऐसा कह कर पल्ला झाड़ लिया।
आखिर किसे बोल गए जयचंद
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कानसिंह राठौड़ ने कहा कि चित्तौड़गढ़ जिले में संचालित बिरला सीमेंट इकाई के विरुद्ध लगी याचिका में खनन प्रतिबंधित क्षेत्र की परिधि 10 किलोमीटर निर्धारित की गई है। इसे कम करते हुए 5 किलोमीटर किए जाने को लेकर सुनवाई आगामी दिनों में न्यायालय में होनी है। इसे लेकर जयचंद इस प्रक्रिया में प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह जयचंद कौन है इसे लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार को इसमें जवाब प्रस्तुत करना है और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परिधि कम करने की अनुशंसा राजस्थान सरकार द्वारा की जा रही है। हालांकि पत्रकारों द्वारा विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री के जयचंद होने को लेकर सवाल पूछा गया लेकिन सिर्फ जयचंद शामिल होने की बात कहते हुए नाम का उल्लेख नहीं किया गया।
बिरला नहीं कर रहा विस्फोट
पत्रकार वार्ता के दौरान कानसिंह राठौड़ एक और जहां उद्योग द्वारा खनन विस्फोट से नुकसान होने की बात कहते दिखाई दिए वहीं दूसरी ओर उन्होंने बिरला सीमेंट का पक्ष लेते हुए कहा की रोक लगाए जाने के बाद बिरला सीमेंट द्वारा यह उदाहरण प्रस्तुत किया गया है कि बिना विस्फोट के भी सैकड़ों टन लाइमस्टोन निकाला गया है। ऐसे में इसे लेकर भी यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर इस प्रकार की पत्रकार वार्ता का उद्देश्य क्या है। कहीं ऐसा तो नहीं की मीडिया के कंधे का उपयोग करते हुए केवल दबाव बनाने का काम किया जा रहा है, क्योंकि ना तो बिरला के विरोध में बोला जा रहा है ना ही अतिक्रमण के विरोध में और ना ही जनप्रतिनिधियों के विरोध में। ऐसे में यह विरोध किसका है यह समझ से परे है।
गत दिनों ही आई थी याचिका समिति
इधर, जानकारी में सामने आया कि गत दिनों ही लोकसभा की याचिका समिति चित्तौड़गढ़ आई थी। करीब 18 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल बिरला सीमेंट के खनन क्षेत्र में पहुंचा। बिरला सीमेंट के खिलाफ शिकायतें थी, जिनकी सुनवाई सुरजना गांव के पास की थी। बाद में यह समिति बिरला सीमेंट के खनन क्षेत्र में पहुंच निरीक्षण किया था। अभी इसकी रिपोर्ट ही बन कर सबमिट नहीं हुई और बिरला सीमेंट के खनन को लेकर दुर्ग के बहाने सियासत तेज हो गई। बड़ी बात यह रही कि शिकायत भी कानसिंह ने ही की और इतने लोगों में पक्ष भी इन्होंने ही रखा। अब दुर्ग संरक्षण को लेकर उद्योग के खिलाफ वार्ता में भी कानसिंह ही बोलते दिखे।
