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नागरिक कर्तव्य में लापरवाही हो सकती है नुकसानदायक
सुभाष चंद्र बैरागी
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम पूरजोर तरीके से चलाया जा रहा है। जिले में भी युद्ध स्तर पर इस कार्य को किया जा रहा है। लेकिन आमजन में जागरूकता की कमी के चलते इस कार्य को करने वाले बीएलओ और उनके सहयोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी में यह भी सामने आया है कि फील्ड में काम करने वाले कार्मिकों को टारगेट दिए गए हैं ऐसी स्थिति में कार्मिक मानसिक दबाव में भी प्रतीत हो रहे हैं। वही महत्वपूर्ण कार्यक्रम होने के बावजूद भी आम लोगों की सहभागिता नहीं होने के चलते लगातार परेशानियां बढ़ती जा रही है। अधिकारी भी क्षेत्र में जाकर लगातार लोगों से संवाद कर उन्हें इस बारे में जागरूक कर रहे हैं। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मतदाता की है जो अब भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आने वाले समय में इस बात की भी प्रबल संभावना है कि इस प्रक्रिया के जरिए वंचित रहने वाले लोग बाद में सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाए और ऐसी स्थिति में उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़े। इसके लिए आवश्यक है कि लोग आगे बढ़कर इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कारण जिससे त्वरित गति से कार्य हो सके।
पक्का घर आएंगे बीएलओ साहब रहे तैयार
गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर पूरी तत्परता से काम किया जा रहा है। और बीएलओ घर घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। और फॉर्म भरकर अपलोड प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके लिए आमजन को भी तैयार रहने की आवश्यकता है। क्योंकि प्रपत्र पर मतदाताओं के फोटो लगाए जाने आवश्यक है। ऐसी स्थिति में जब प्रपत्र लेकर कार्मिक घर पहुंचते हैं तो फोटो नहीं होने की बात कही जाती है जिससे एक-एक फॉर्म को पूरा करने के लिए कार्मिकों को 3 से 4 बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि सरकार के निर्देशों की पालना के लिए कार्मिक आपके घर पर दस्तक देंगे यह निश्चित रूप से होगा और इसके लिए आमजन को भी तैयार रहने की आवश्यकता है घर में मतदान योग्य परिवार के सदस्यों के फोटो आवश्यक रूप से तैयार रखें जिससे कार्मिकों को शीघ्रता से काम करने में सहयोग मिल सके। कई स्थानों से जानकारी में यह भी सामने आया है कि कार्मिकों को तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराने फोटो उपलब्ध कराने के लिए लंबा इंतजार करवाया जा रहा है। पहले से ही टारगेट चलते दबाव में चल रहे कार्मिकों के लिए यह स्थितियां और भी परेशानी बढ़ाने वाली है। ऐसी स्थिति में यदि आमजन जागरुक होकर काम करे तो एक और जहां कार्य को गति मिलेगी वहीं दूसरी ओर इस काम में जुटे कार्मिकों को थोड़ी राहत महसूस होगी।
सिर्फ इतना सा है काम साथ की है जरूरत
प्रपत्र को लेकर किए जाने वाले काम में कोई गंभीर दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं है। अपितु सत्यापन के लिए आने वाले कार्मिकों को उनके द्वारा मांगी गई जानकारी और मतदान योग्य सदस्यों के फोटो उपलब्ध करवाने हैं। एक और जहां 95% से अधिक कार्य सरकार के स्तर पर पूरा हो रहा है वहां महज 5% सहयोग करने से काम पूरा हो सकता है। लेकिन इसके बावजूद सहयोग को लेकर उदासीनता एक और जहां कार्मिको के मानसिक दबाव को बढ़ा रही है वहीं दूसरी ओर काम की गति को काम करने में सहायक सिद्ध हो रही है। बस केवल परिवार के सदस्यों के फोटो तैयार रखने से काम जल्दी पूरा हो सकता है तो लोगों को आगे बढ़कर कार्मिकों और प्रशासन का सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए।
यह भी है एक बड़ी मुश्किल
इस पुनरीक्षण कार्यक्रम में एक बड़ी मुश्किल जो आमतौर पर देखने को मिल रही है वह यह है कि अन्य जिलों या राज्यो से विवाह कर जिले में आई महिलाओं को उनके पैतृक निर्वाचन क्षेत्र की उनके परिजनों की 2002 की सूची की भाग संख्या क्रम संख्या आदि उपलब्ध करवानी पड़ रही है जो आसानी से उपलब्ध नहीं हो रही है। इसे लेकर परिजनों और कार्मिकों कड़ी मचाकत करनी पड़ रही है। हालांकि ऑनलाइन पोर्टल पर प्रयास किया जाता है लेकिन कहीं बार इसमें सफलता नहीं मिलती है इसके लिए आवश्यक है कि अतिरिक्त व्यवस्था की जाए और साथ ही संभव हो तो परिजन भी अपने स्तर पर विशेष प्रयास कर यह भी तैयारी करके रखें जिससे कि कम शीघ्रता से हो सके। वही इस दिशा में प्रशासनिक स्तर पर भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता प्रतीत होती है जिससे कि कार्य को गति मिल सके।
कहीं भारी न पड़ जाए लापरवाही
पुनरीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशासन लगातार यह प्रयास कर रहा है कि प्रत्येक भारतीय नागरिक इस मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में शामिल हो। और ऐसी स्थिति में घर-घर जाकर सर्वे के माध्यम से प्रपत्र भरवाए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी लोग लापरवाही बरत रहे है। और ऐसे में संभावना है कि आने वाले समय में यदि क्षेत्र में नहीं होने की पुष्टि होती है और मतदाता कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ा जाता है तो सरकार की योजनाओं से भी वंचित होने की संभावना बनती है। जब सरकार की किसी लाभकारी योजना के आवेदन होते हैं चाहे वह खाद्य सुरक्षा हो या अन्य कोई योजना तो लोग आगे बढ़कर उसमें पंजीकरण करवाते हैं और कैंप के दौरान भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन मतदाता पुनरीक्षण गहन कार्यक्रम के दौरान इस प्रकार की भागीदारी देखने को नहीं मिल रही है। जो आने वाले समय में अपनी लापरवाही से वंचित रहे लोगों पर भारी पड़ेगी। आज प्रशासन के कार्मिक घरों पर चक्कर काट रहे हैं लेकिन इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लापरवाही करने वाले लोगों को भविष्य में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े। इसलिए आवश्यक है कि घर पर आने वाले कार्मिकों को सहयोग करें जिससे कि भविष्य में परेशान नहीं होना पड़े।
अधिकारी भी गंभीर लगातार कर रहे संपर्क
मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में ऐसा नहीं है कि केवल निचले स्तर पर फील्ड के कार्मिक ही काम कर रहे हैं बल्कि अधिकारी भी इसे लेकर पूरी तरीके से गंभीर है। पूर्व में जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम का जिले में अलग-अलग स्थान निरीक्षण करते हुए कार्य की प्रगति की समीक्षा की थी। वहीं बुधवार को चित्तौड़गढ़ उपखंड अधिकारी और ई आर ओ बीनू देवल ने जिला मुख्यालय पर औद्योगिक इकाइयों की आवासीय कॉलोनी में टीम के साथ पहुंचकर निरीक्षण किया साथ ही अलग-अलग क्षेत्र में संगणक प्रपत्र की जानकारी को लेकर जागरूक करते हुए बीएलओ को सहयोग करने का आह्वान किया। ऐसे में पूरा प्रशासनिक अमला जहां लोगों के लिए पूरी तत्परता से कम कर रहा है तो ऐसी स्थिति में मतदाताओं की भी जिम्मेदारी है कि सक्रिय सहयोग दिखाते हुए प्रशासन का सहयोग करें।