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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। शहर के बहुचर्चित रमेश ईनाणी हत्याकांड ने अब धार्मिक गलियारों में भी जबरदस्त हलचल मचा दी है। हत्या के इस सनसनीखेज मामले में आरोपी बनाए गए चित्तौड़गढ़ के संत रमताराम और सिरोही के संत भजनाराम को रामस्नेही संप्रदाय ने बुधवार देर शाम संप्रदाय से निष्कासित कर दिया। चित्तौड़गढ़ के संत रमताराम और सिरोही के संत भजनाराम के निष्कासन को लेकर संप्रदाय का आदेश भी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
रामस्नेही संप्रदाय के कार्यवाहक भंडारी साधु जगवल्लभराम रामस्नेही ने बताया कि संप्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्यश्री स्वामी रामदयालजी महाराज ने वरिष्ठ संतों एवं भक्त समुदाय के अनुरोध पर यह कड़ा फैसला लिया। आचार्य के आदेशानुसार रमताराम व भजनराम के निष्कासन संबंधी आदेश जारी कर सर्वसाधारण के लिए सार्वजनिक कर दिया। साधु जगवल्लभराम ने आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि इस प्रकरण में किसी अन्य संत की संलिप्तता सामने आती है, तो उसे भी स्वतः निष्कासित माना जाएगा। संप्रदाय ने यह संकेत दे दिया है कि अनुशासन और मर्यादा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि लगभग एक माह पूर्व रमेश ईनाणी की शूटर मनीष कुमार दुबे के द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। मृतक के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में संत रमताराम पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उत्तरप्रदेश से शूटर को बुलाने की भूमिका संत रमताराम ने संत भजनाराम के माध्यम से निभाई। इस खुलासे के बाद मामला और भी संगीन होता चला गया। अपराध के इस आरोप ने न सिर्फ संप्रदाय बल्कि आमजन को भी झकझोर दिया है। अब सबकी नजरें पुलिस जांच और आगे होने वाली कानूनी कार्रवाई पर टिकी हैं। संत रमताराम ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट जोधपुर में भी आवेदन किया है। चित्तौड़गढ़ जिला न्यायालय ने यह आवेदन खारीज कर दिया है।
रामद्वारा के पीछे की जमीन से जुड़ा विवाद
हत्या के विवाद का यह मामला रामद्वारे के पीछे स्थित जमीन के विवाद से जुड़ा बताया जाता है। अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए एडीजे कोर्ट के पीठासीन अधिकारी अटल सिंह चापावत ने रमताराम की जमानत याचिका खारिज कर दी। शहर में गत 11 नवम्बर को दिन दहाड़े कुरियर व्यवसायी रमेश ईनाणी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। गिरफ्तार आरोपित ने प्रारंभिक पूछताछ में दूबे ने मामला आपसी रंजिश और गाली-गलौच का होना बताया लेकिन पुलिस ने मामले की परतें खोली और पता लगा कि मनीष दूबे 2022 से ही रमताराम और सिरोह के रामस्नेही सम्प्रदाय के अन्य संत भजनाराम से सम्पर्क में था। अपर जिला एवं सेशन न्यायालय में रमताराम की अग्रिम जमानत याचिका में अभियुक्त की आेर से अरविन्द कुमार व्यास, परिवादी की ईनाणी की ओर से एलएल पोखरना और अपर लोक अभियोजक पुष्पेन्द्र ओझा ने पैरवी की।
रमताराम ने की थी विवादित जमीन को कब्जे में लेने की कोशिश
रामद्वारे के संत रमताराम और रमेश ईनाणी के बीच रामद्वारा की पीछे स्थित भूमि का लम्बे समय से विवाद चल रहा था। यह सिविल वाद दिलखुश बनाम बद्रीलाल वगैरा का था। वहीं रमताराम और बद्रीलाल केे बीच 138 एनआई एक्ट का प्रकरण भी विचाराधीन था, जिसमें रमताराम को संदेह का लाभ देकर बरी किया गया था। जानकारी है कि रमतराम ने रामद्वारे के पीछे स्थित भूमि मृतक रमेश ईनाणी के चाचा और ताऊ से खरीदी थी लेकिन भूमि पर रमेश ईनाणी का कब्जा था और इस पर सिविल वाद चल रहा था। रमताराम ने कई बार भूमि का कब्जा लेने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिलने के बाद रमेश ईनाणी को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया।
2022 में पहली बार चित्तौड़ आया था शूटर दुबे
तकनीकी अनुसंधान और साक्ष्यों को देखते हुए जानकारी मिली कि रमेश ईनाणी को गोली मारने वाला शूटर मनीष दूबे जून 2022 से संत रमताराम से सम्पर्क में था। पहली बार जुलाई 2022 में वह टेक्सी लेकर चित्तौड़गढ़ आया तब संत रमताराम विदेश में थे। अनुसंधान के दौरान रमताराम ने आरोपी मनीष दूबे से कोई सम्पर्क नहीं होने की बात कही लेकिन अनुसंधान में सामने आया कि रमताराम और मनीष दूबे के बीच इंटरनेट के माध्यम से 9 बार सम्पर्क हुआ था वहीं जनवरी 2024 से जून 2024 के बीच अलग-अलग लोगों के द्वारा शूटर के खाते में 95 हजार रूपये की राशि दूसरे लोगों के जरिए ट्रांसफर कराई थी। इस पूरे मामले में सिरोही के संत भजनाराम को भी साजिशकर्ता माना गया है उसने भी संत रमताराम के साथ मिलकर मनीष दूबे को सुपारी दी थी।