सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय पर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चित्तौड़गढ़ के सांसद चंद्र प्रकाश जोशी की प्रेरणा पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। एक ओर जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के स्वयं सहायता समूह स्थानीय उत्पादक इस स्वदेशी यात्रा के सहयात्री बने हैं। इसी के साथ आमजन भी इस कार्यक्रम के तहत होने वाले आयोजनों में सहभागी बनकर स्वदेशी की प्रेरणा को आत्मसात कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चित्तौड़गढ़ की सरस डेयरी द्वारा सीधे रूप से इस मेले का बहिष्कार किया गया है। दूरस्थ क्षेत्र के उत्पादों को लेकर लोग यहां इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं वही मुख्यालय पर स्थित सरस डेयरी द्वारा अपने उत्पादों को लेकर किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं किया जाना सवाल खड़े कर रहा है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है की मनमर्जी की यह डेयरी अब सीधे-सीधे संसद के जरिए केंद्र की नीतियों का भी विरोध कर रही है। जबकि इसके उलट राजस्थान की जयपुर डेयरी द्वारा दिल्ली में आयोजित हो रहे कार्यक्रम में प्रदर्शनी के माध्यम से उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय किया जा रहा है इसी के साथ उदयपुर में आयोजित शिल्पग्राम में भी स्थानीय संघ द्वारा उत्पाद प्रदर्शित किये जा रहे हैं। इससे साफ होता है कि चित्तौड़गढ़ डेयरी राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव के साथ-साथ सांसद जोशी और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का भी विरोध कर रही है। इस पूरे मामले में बड़ी बात यह है कि चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन के मुखिया के रूप में जिला कलेक्टर इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा इस डेयरी का प्रशंसक भी उन्हें ही नियुक्त किया गया है। अब ऐसी स्थिति में इतने बड़े राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में चितौड़गढ़ सरस की अनुपस्थिति इस बात की ओर भी इशारा करती है कि यहां मनमर्जी करने वाले लोगो के लिए किसी की भी कोई उपयोगिता नहीं है। और ऐसी स्थिति में यदि उत्पादों की कमी के चलते सरस इस आयोजन से दूर है तो साबित हो जाता है कि केवल ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए कमाई देने वाले उन उत्पादों को नही बना कर केवल चांदी कूटने और जेब भराई का काम चल रहा है।
उदयपुर से दिल्ली तक सरस जिले में 'स्वार्थ रस'
शीतकालीन अवकाश के दौरान अलग-अलग स्थान पर मेलों के माध्यम से कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दिल्ली में भी इसी प्रकार का एक आयोजन चल रहा है जहां राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड के माध्यम से स्टॉल लगाकर सरस की उत्कृष्टता और उत्पादों की उपलब्धता को प्रदर्शित किया जा रहा है। इसी के साथ उदयपुर के शिल्पग्राम में आयोजित ऐसे ही आयोजन में भी स्थानीय संघ के माध्यम से संचालित इकाई के सरस उत्पाफ अपनी छाप छोड़ रहे है। लेकिन इन सब से दूर चित्तौड़गढ़ इकाई के संचालन से जुड़े लोग केवल ठेकेदारों के फायदे के साथ-साथ अपने शरणदाताओं के लिए काम करने में जुटे हुए हैं। इतने बड़े आयोजन में सरस चित्तौड़ की अनुपस्थिति इस बात की ओर इशारा कर रही है की सरस में कुछ भी ठीक नहीं है। और केवल स्वार्थ रस की पूर्ति के लिए काम किया जा रहा है।
आमजन में छाप छोड़ रहा राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित सांसद सीपी जोशी की पहल पर आयोजित राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव आमजन में अपनी अलग ही छाप छोड़ रहा है। स्वदेशी महोत्सव में देश भर से आए उत्पाद जहां लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वहीं जिले के उत्पादों को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। संपूर्ण स्वदेशी अभियान के तहत चाहे देश के अलग-अलग क्षेत्र से आए पारंपरिक परिधान हो या फिर लोक व्यंजन बरबस लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। राजस्थान के महामहिम राज्यपाल की गरिमामय में उपस्थित शुरू हुए इस कार्यक्रम के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी अपने आप में अनूठे हैं। देश की अलग-अलग संस्कृतियों को अपने आप में समाहित किए हुए यह महोत्सव स्वदेशी प्रेरणा के साथ-साथ स्थानीय उत्पादन की बृहद व्यापारिक परिस्थितियों के लिए साझा मंच साबित हो रहा है।
कलेक्टर सांसद सबका परहेज तो डेयरी किसकी ?
लंबे समय से इस इकाई में अनियमितता की जानकारियां लगातार सामने आ रही है। राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना से प्रेरित होकर सांसद सीपी जोशी की अगुवाई में आयोजित हो रहा है। प्रशासनिक प्रतिनिधि के रूप में चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर आलोक रंजन की सक्रिय भूमिका भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में जहां दूर-दूर से लोग इस आयोजन के सहभागी बन रहे हैं। वही चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक संघ द्वारा संचालित इस इकाई का इस कार्यक्रम से परहेज सीधे-सीधे इस बात की ओर इशारा कर रहा है की कार्यक्रम के साथ-साथ इस इकाई का प्रबंधन संभाल रहे लोग सांसद और जिला कलेक्टर का भी खुला विरोध कर रहे हैं। उनका काम केवल उनके शरण दाताओं और ठेकेदारों के साथ-साथ अपने फायदे के लिए काम करना रह गया है। इस पर यह सवाल खड़ा होता है कि जिला कलेक्टर के प्रशासक होते हुए उनकी भूमिका महज औपचारिक है। केंद्र का आयोजन उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है फिर चाहे फेडरेशन दिल्ली में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा हो लेकिन यहां किसी से लेना देना नहीं है।
अन्य दुग्ध उत्पाद निर्माता कंपनी की स्टाल, सरस का टोटा..।
राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव में एक अन्य दूध उत्पाद निर्माता इकाई द्वारा अपने स्टाल के माध्यम से अपने उत्पादों का प्रदर्शन और विपणन किया जा रहा है। वही सरस कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। यहां यह भी बता दे की सरस द्वारा दूध के अतिरिक्त छाछ पनीर श्रीखंड घी और मिठाइयों का निर्माण किया जाता है। पूर्व में इस प्रकार के आयोजनों में सारस की सक्रिय भूमिका दिखाई देती थी लेकिन वर्तमान प्रबंधन की उदासीनता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। सूत्रों का कहना है कि जब घाटे में दूध ही बाहर भेजा जा रहा है तो फिर अन्य उत्पादों की उपलब्धता के बारे में सोचना भी बेमानी है। इधर अगर इकाई प्रबंधन के लोग कागजी स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हैं तो यह कह सकते हैं कि उत्पाद नहीं बनाई जा रहे हैं इसलिए काउंटर नहीं लगाया गया लेकिन अगर उत्पाद उपलब्ध नहीं है तो फिर इस इकाई के संचालन की भूमिका निभा रहे हैं लोगों के कार्य शैली पर उठ रहे सवाल सही साबित होते हैं। फिलहाल अब देखने वाली बात होगी कि लंबे समय से जारी अनियमितता के बीच स्वदेशी के इस बहिष्कार को लेकर कोई कार्रवाई होती है या फिर इसे भी यूं ही दबा दिया जाता है।