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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म वैदिक पंचाग के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र और जयंती योग में हुआ था अतः कालान्तर से घर या मंदिर में उनकी पूजा अर्धरात्रि को निशीथ काल में करने का प्रचलन देखने को मिलता है। वैदिक पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की इस बार उदयातिथि के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी शनिवार ,16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।ज्योतिषीय गणना के आधार पर इस बार शुक्रवार 15 अगस्त के दिन वृद्धि योग, भरणी नक्षत्र एवं चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे वहीं सूर्य कर्क राशि में रहेंगे। इसी प्रकार शनिवार 16 अगस्त को वृद्धि और घ्रुव योग का निर्माण हो रहा है। मान्यताओं के आधार पर प्रायः स्मार्त सम्प्रदाय के अनुयायियों द्वारा 15 अगस्त एवं वैष्णव संप्रदाय के लोग 16 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- शुक्रवार 15 अगस्त 2025 को रात्रि 11:49 बजे।
अष्टमी तिथि समाप्त- शनिवार, 16 अगस्त 2025 को रात्रि 09:34 बजे।
15 अगस्त निशिथ पूजा का समय-मध्यरात्रि 12:04 से 12:47 तक।
16 अगस्त निशिथ पूजा का समय- मध्यरात्रि 12.04 से 12.47 तक।
16 अगस्त 2025 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:07 तक
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:59 से दोपहर 12:51 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:59 से 07:21 तक।
योग: वृद्धि, ध्रुव, सर्वार्थसिद्धि और अमृत योग।
सामान्य पूजा विधि
इस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर रखकर पंचामृत और गंगा जल से से स्नान वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार आदि कर , चंदन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं। तत्पश्चात दीप और धुप के दर्शन करवाकर माखन मिश्री तुलसी एवं पंजेरी और अन्य भोग सामग्री अर्पण करते हुए पीने के लिए गंगा जल रखें। मान्यताओं के अनुसार निम्नलिखित मन्त्रों का तुलसी की माला पर जाप करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा मिलती है - 'कृं कृष्णाय नमः' 'गोकुल नाथाय नमः' 'गोवल्लभाय स्वाहा', 'ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा' , 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'।