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सीधा सवाल। चिकारड़ा। पर्युषण पर्व मनाने का अर्थ जीवन में परिवर्तन लाना है । प्राणी मात्र इस अवसर पर मोह राग द्वेष सभी छोड़कर भक्ति के मार्ग को अपनाता है । यही पर्यूषण पर्व का अंतिम सार है । उक्त विचार स्वाध्यायी समरथ मल पामेचा ने पर्युषण पर्व पर समता साधना भवन में कही। वही उनके द्वारा बताया कि प्राणी मात्र को भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत पर चलते हुए आगे बढ़ने से जीवन का समस्त वैश्विक मार्ग मिल जाता है। भगवान महावीर अपन स्वयं भी बन सकते हैं। बशर्त मानव को पुरुषार्थ करते हुए आगे आना होगा। साधुमार्गी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में दिनेश जैन द्वारा पर्यूषण पर्व को लेकर जहां एक अंतरण सूत्र का वाचन करवाया जा रहा है वही प्रतिक्रमण भी नियमित जारी है। जानकारी में संघ अध्यक्ष अशोक बोहरा ने बताया कि समता साधना भवन में स्वाध्यायीं समरथ मल पामेचा द्वारा विगत 45 दिनों से अपने प्रवचन के माध्यम से जिनवाणी का श्रवण करवा रहे हैं। इसके साथ ही अनेक शास्त्रों का ज्ञान होने के कारण नए शब्दकोषों के अनुसार लाभ दे रहे हैं। पर्यूषण पर्व पर धर्म ध्यान का ठाट लगा हुआ है। प्रवचन में 100 से अधिक श्रावक स्राविकाएं उपस्थिति देकर धर्म लाभ ले रहे हैं। वही तप जप जारी रखते हुए सामयिक अकासन बेला तेला अठाइया आयम्बिल करते हुए मन को धर्म की ओर जोड़ रहे हैं। अपनी आत्मा को हल्का कर रहे हैं।