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कृषकों को दी कीट एवं व्याधि नियंत्रण संबंधी सलाह

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कृषि खण्ड भीलवाड़ा द्वारा गठित रेपिड रोविंग सर्वे टीम ने सोमवार को जिले के तुम्बड़िया, कश्मोर, नेतावल महाराज, छापरी, भीमगढ़, राशमी सहित विभिन्न क्षेत्रों में मक्का एवं सोयाबीन फसलों में कीट-व्याधि प्रकोप का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण के दौरान मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म, सोयाबीन में गर्डल बीटल एवं यलो मोजेक, मूंग में यलो मोजेक, भिण्डी में सफेद मक्खी एवं फल ठेदक, टमाटर में झुलसा रोग, रस चूसक कीट एवं लीफ माइनर का प्रकोप पाया गया। टीम ने बताया कि वर्तमान में यह प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से कम है।
सर्वेक्षण दल में संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दिनेश कुमार जागा, उप निदेशक उद्यान डॉ. शंकर लाल जाट, पौध व्याधि वैज्ञानिक डॉ. ललित कुमार छाता, कीट वैज्ञानिक डॉ. जीनगर, शस्य वैज्ञानिक डॉ. आर.के. खण्डेलवाल, उप निदेशक कृषि (भीलवाड़ा) डॉ. लक्ष्मीकंवर राठौड़, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) चित्तौड़गढ़ अंशु चौधरी, सहायक निदेशक (भीलवाड़ा) सुनीता डिडवानिया, सहायक निदेशक कृषि भगवान सिंह कुम्पावत, कृषि अधिकारी प्रशान्त कुमार जाटोलिया, कृषि पर्यवेक्षक कैलाश चन्द्र जाट एवं नारायण लाल जाट शामिल थे।
कृषकों को दी गई सलाह
मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण हेतु अजाडीरेक्टिन 1500 पीपीएम 2.5 ली./हेक्टेयर, प्रकाश या फेरोमोन ट्रैप (5 प्रति एकड़), इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 एसजी 0.4 ग्राम/ली., स्पाइनोसेड 0.3 मि.ली./ली. या थायोमेथोक्साम (12.6%) + लेम्डासायहेलोथ्रिन (9.5%) 0.5 मि.ली./ली. अथवा क्लोरेन्ट्रोनिलिप्रोल 18.5% 0.4 मि.ली./ली. पानी का छिड़काव करने की सलाह दी गई।
सोयाबीन फसल में गर्डल बीटल नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 30 ईसी 1 लीटर या एसीफेट 75 एसपी 500 ग्राम/हेक्टेयर का छिड़काव करें तथा 7 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।
सब्जी फसलों में रस चूसक कीटों की रोकथाम हेतु थायोमेथोक्साम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% का छिड़काव करना उपयोगी रहेगा। इसके अतिरिक्त, सर्वे टीम ने बताया कि राशमी के भीमगढ़ गांव में लगभग 100 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की जा रही है। यहां के किसान सामूहिक रूप से अपनी उपज उदयपुर, भीलवाड़ा एवं जयपुर मंडियों में भेजकर विक्रय कर रहे हैं।