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सीधा सवाल। कपासन। पर्युषण पर्व के दौरान जैन समाज की श्राविकाओं की कठिन तपस्या का समापन वरघोड़े के साथ हुआ। प्रांजल कोठारी ने 11 दिन और सुनीता सांवला ने 9 दिन की तपस्या पूरी की।प्रांजल कोठारी का वरघोड़ा एस आर वाटिका स्थित उनके निवास से प्रारंभ हुआ। उन्हें रथ में बैठाया गया। बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं इस यात्रा में शामिल हुए। वरघोड़ा महाराणा प्रताप चौराहा और पुराना हॉस्पिटल मार्ग होते हुए चिंतामणि पारसनाथ मंदिर पहुंचा।इसी प्रकार सुनीता सांवला का वरघोड़ा भी अलग मार्ग से चिंतामणि पारसनाथ मंदिर पहुंचा। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद सभी तपस्वी अंबेश भवन गए। वहां महासाध्वी कंचन कंवर, डॉ. सुलोचना और साध्वी डॉ सुलक्षणा से मांगलिक प्राप्त कर पारणा किया।इस अवसर पर सुरभि बाफना और अशोक बाफना ने भी आठ दिन की तपस्या पूरी की। पर्युषण पर्व के दौरान कई श्रावक श्राविकाओं ने एक से लेकर 11 दिन तक के उपवास किए।