420
views
views

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जब प्राप्त नहीं होता है तब व्यक्ति ईश्वर को याद करता है और जब प्राप्त हो जाता है तब वह ईश्वर को भूल जाता है जो भगवान ने दिया है उसकी तरफ व्यक्ति ध्यान नहीं लगाता और उसका आनंद नहीं लेता अपितु जो प्राप्त नहीं है उसके पीछे दौड़ लगाता है l भगवान श्री कृष्ण के विवाह उत्सव में रुक्मणी मंगल कथा के समापन के साथ रामद्वारा चित्तौड़गढ़ में चल रहा चातुर्मास सत्संग संत रमता राम जी के पावन सानिध्य में संपन्न हुआ सैकड़ो की संख्या में भक्तों ने अपनी उपस्थिति लगाकर सत्संग का लाभ लिया चातुर्मास समापन के अवसर पर संत ने बताया कि भगवान का नाम ही संसार सागर से पार करता है इसलिए व्यक्ति जैसे संसार में भोजन के लिए समय निकालता है वैसे ही उसको भजन के लिए भी समय निकालना चाहिए क्योंकि जीवन का सत्य यह है कि जो आएगा वह जाएगा l यह शरीर पंच तत्व से बना है और पंच तत्व में विलीन हो जाएगा आत्मा शरीर रूपी वस्त्र बदलती है जिस प्रकार नए कपड़ों की चमक धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है उसी प्रकार शरीर की चमक( यौवन) भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है इसलिए प्रभु सुमरीन करते हुए हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए l रामस्नेही संप्रदाय के आधाचार्य श्री रामचरण जी महाराज ने अपनी अनुभव वाणी में बताया कि 'मानव तन दुर्लभ मिलियो और भाग्य मिलीयों सत्संग' l मानव तन बड़ी दुर्लभता से मिलता है उसमें भी सत्संग तो बड़े भाग्य से मिलता है क्योंकि सत्संग से विवेक प्राप्त होता है और विवेक से जीवन जीने का मार्ग मिलता है इसलिए संतों ने सेवा, सुमरीन और सत्संग करना ही जीवन का लक्ष्य बताया है भगवान की कृपा से जीवन में जो प्राप्त है उसे प्रसन्नता से स्वीकार करते हुए सेवा , सुमरीन और सत्संग के माध्यम से जीवन में स्वयं को प्रसन्न रखें यही आनंद है l भगवान के नाम की शक्ति अपार है कलयुग में भी हजारों भक्त भगवान के नाम से तर गए नाम का आश्रय लेना सभी ग्रंथों का सार है राम नाम की शक्ति थी जिसके कारण हनुमान जी ने समुद्र को लॉन्ग कर सीता माता की खोज करी थी हनुमान जी महाराज के जीवन में भगवान के राम नाम का प्रभाव हमेशा रहा है इसलिए कहा गया है की राम से बड़ा राम का नाम लेकिन व्यक्ति सत्ता, संपत्ति, वैभव ,यौवन का अभिमान करता है और भगवान के नाम को भूल जाता है लेकिन एक दिन इन सभी का अंत होना निश्चित है l प्रभु कृपा बिना इस सृष्टि पर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता व्यक्ति प्रभु कृपा बिना कुछ भी नहीं कर सकता है जो व्यक्ति भगवान के नाम का आश्रय लेता हैं उनका लोक व परलोक दोनों सुधर जाता है l
राम द्वारा में चातुर्मास सत्संग का क्रम पूर्ण हुआ आगे 12 से 14 सितंबर तक रामस्नेही संप्रदाय के मूल आचार्य स्वामी रामचरण जी महाराज जी ने ग्रंथ अनुभववाणी में जो भजन का मार्ग बताया उसे सीखने हेतु त्रि दिवसीय राम नाम साधना शिविर का आयोजन राम द्वारा में किया जाएगा जिसका समय मध्यान 3:00 बजे से 6:00 तक रहेगा 22 सितंबर से नवरात्रि में रामचरितमानस के नवाँह पारायण प्रारंभ होगा जिसका समय प्रातः 7:00 से 9:30 तक रहेगा l उसके पश्चात दशहरे पर चतुर्मास पूर्ण होगा l
