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सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा।
राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को साढ़े आठ करोड़ जनता को धर्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देने वाला ऐतिहासिक बिल "राजस्थान विधि विरूद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2025" पास हो गया। इस बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व नगरीय विकास, आवासन व स्वायत्त शासन मंत्री एवं विधायक श्रीचंद कृपलानी ने बिल का समर्थन कर राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को धन्यवाद दिया। कृपलानी ने कहा कि राज्य सरकार के इस ऐतिहासिक धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी प्रदान करने वाले बिल के माध्यम से लव जिहाद तथा बल, धन, प्रलोभन जैसी गतिविधियों के माध्यम से होने वाली धर्म परिवर्तन जैसे कृत्य पर रोक लगेगी।
विधायक कृपलानी ने कहा कि "धर्म कोई किताबों तक सीमित विचार नहीं, यह तो एक शाश्वत जीवनशैली है जिसमें सत्य, करुणा, निष्ठा और भक्ति की धारा बहती है।" उन्होंने कहा कि भारत का संविधान समस्त व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी प्रदान करता है, जो भारत की सामाजिक समरसता और भावना को प्रतिबिंबित करती है। इस संवैधानिक अधिकार का उद्देश्य भारत में धर्म निरपेक्षता की भावना को बनाये रखना है। संविधान के अनुसार, राज्य का कोई धर्म नहीं है और राज्य के समक्ष समस्त धर्म समान हैं, और किसी धर्म को किसी अन्य पर अधिमानता नहीं दी जायेगी।
संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, अपनाने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार प्रदत्त करता है। फिर भी, हाल ही में ऐसे कई उदाहरण सामने आये हैं, जहां -
सीधे-सादे व्यक्तियों को गलत सूचना, बल, दुष्प्रचार, प्रलोभन या सोशल मिडिया के कपटपूर्ण साधनों द्वारा "एक धर्म से किसी अन्य में संपरिवर्तित किया जा रहा है।" धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित विधि देश के विभिन्न राज्यों में पहले से ही विद्यमान है किंतु राजस्थान में उक्त विषय पर कोई कानून नहीं था। विधायक कृपलानी ने कहा कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार यह कानून ला रही है,
जो किसी भी विधर्मी द्वारा गलत भावना, गलत सूचना, बल, प्रपीड़न, प्रलोभन, सोशल मिडिया या अन्य किन्हीं कपटपूर्ण साधनों द्वारा या विवाह या विवाह के झांसे द्वारा एक धर्म से किसी अन्य में विधि विरुद्ध संपरिवर्तन का प्रतिषेध करने के लिए राजस्थांन के इतिहास का एक मजबूत कानून होगा।
कृपलानी ने सदन में कहा कि यह विधेयक मात्र एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति, समाज और संविधान की मर्यादाओं की रक्षा करने वाला एक सशक्त कदम होगा, जब किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध, छल, भय, दबाव या प्रलोभन के माध्यम से धर्म बदलने को विवश किया जाता है, तो यह उसकी धार्मिक स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन होता है जो गंभीर आपराधिक कृत्य भी है।
कृपलानी ने राजस्थान में पिछले दिनों घटित घटनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब धर्म परिवर्तन सिर्फ व्यक्तिगत विषय नहीं रहा, बल्कि यह एक संगठित और योजनाबद्ध अभियान बन चुका है, जिसका उद्देश्य समाज में विघटन और अस्थिरता फैलाना है।
लडकियां बालिक हो या नाबालिक हो उनके विवाह में उनके माता-पिता की सहमति आवश्यिक होनी चाहिए ताकि उन्हें कोई विधर्मी बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन की स्थिति में ना ला सकें। आज 'लव जिहाद' जैसे प्रचलित षड्यंत्र सामने आ रहे हैं, जहाँ लड़कियों को प्रेम के नाम पर जाल में फँसाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। यह महिलाओं की गरिमा के साथ खिलवाड़ है और सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा भी। बडे पैमाने पर विदेशी फंडींग हो रही है। उत्तर प्रदेश में बडे स्तर पर आगरा और लखनऊ में ऐसे रैकेट का पर्दाफाश योगी सरकार ने किया है।
कृपलानी ने कहा कि जब कांग्रेस सरकार के समय में राजस्थान में बहुत ही दबे हुए और छिपे हुए ढंग से धर्मांतरण करवाया जा रहे थे पूरे राजस्थान में असहाय निर्धन और सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को जबरन ईसाई और मुस्ल मान बनाने के मामले सामने आ रहे थे, यह विधेयक ऐसे मामलों पर सख्त अंकुश लगाएगा।