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छोटीसादड़ी। सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और अन्य रोग से पीड़ित महिलाओं की सुविधाओं के लिए लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराकर उपखण्ड क्षेत्र मुख्यालय व जनजाति बहुल क्षेत्र की महिलाओं को निःशुल्क जांच मुहैया कराने की सुविधा की गई। लेकिन चिकित्सा विभाग के उदासीन रवैया और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते जहां चिकित्सालय में गायनोलॉजिस्ट की नियुक्त किए जाने के बावजूद भी गर्भवती महिलाएं अभी भी प्राइवेट सोनोग्राफी केंद्र के भरोसे उपचार ले रही है। कई ग्रामीण महिलाएं तो मोटी रकम जांच में खर्च कर पाने में असमर्थ होने के कारण सरकारी अस्पताल में डिलीवरी नहीं कराने के कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी सुरक्षा जैसी सुविधाओं से वंचित रह जाती है। वही कई महिलाएं तो अपनी डिलीवरी अन्य शहरों के सरकारी चिकित्सालय में जाकर करवाने पर विवश है। जहां पहले छोटीसादड़ी चिकित्सालय जननी सुरक्षा वार्ड में भरपूर डिलीवरी होती थी। आज यह स्थिति है कि इक्का दुक्का महिलाएं भर्ती दिखाई देती है। गौरतलब है कि उपखंड मुख्यालय के जयचंद मोहिल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी सोनोग्राफी सुविधा उपलब्ध करवाने में मशीन आने के तीन साल बाद भी लाभ नहीं मिल पा रही है। जिले में छोटीसादड़ी तहसील को सबसे बड़ी तहसील मानी जाती है। शहर में 25 वार्ड और 165 राजस्व गांवों की आबादी के बाद भी अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन व चिकित्सक के होते हुए भी सुविधा नहीं होना सीधे तौर पर रोगियों के साथ नाइंसाफी हो रही है। महिलाओं को सोनोग्राफी जांच कराने के लिए निजी सोनोग्राफी केंद्रों पर जाना पड़ रहा है। सीएससी में सोनोग्राफी मशीन है, लेकिन इस सुविधा का लाभ प्रसुताओं व दूसरे मरीजों को नहीं मिल पा रही है। आलम यह है कि यहां किसी प्रसुता को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ी तो दूसरे शहरों में दौड़ लगानी पड़ती है। हर वर्ष करीब एक हजार डिलेवरी होती है। सोनोग्राफी की सुविधा मरीजों को उपलब्ध करवाने के लिए अस्पताल में तकनीशियन का होना जरूरी है। तकनीशियन के नहीं होने पर अस्पताल में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस व दूसरे चिकित्सक को 6 माह का प्रशिक्षण का दिलवाकर जरुरतमंदों को सोनोग्राफी सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। बता दें कि अस्पताल में तीन साल के दौरान इन दोनों में से कोई भी एक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
- सोनोग्राफी मशीन और चिकित्सक भी है, लेकिन मरीजों को सुविधा नहीं
उपखंड मुख्यालय के जयचंद मोहिल अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नही मिल रही है। ऐसे में उन्हें निजी सोनोग्राफी सेंटर से सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है। इससे उन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि अस्पताल में कई क्षेत्रों से गर्भवती महिलाएं यहां पर प्रसव करवाने आती है। चिकित्सालय में भी उन्हें सुविधा नहीं मिल पाने पर रेफर कर दिया जाता है,तो उन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई बार उनके स्वास्थ्य के लिए परेशानी दायक भी हो जाता है। हालात ये है कि हर दिन सैकड़ों की संख्या में महिला रोगियों को प्राइवेट सेंटरों पर एक हजार रुपए देकर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है।
- दो से तीन बार होती है सोनोग्राफी जांच
चिकित्सकों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को दो से तीन बार सोनोग्राफी जांच की आवश्यकता पड़ती है। ये जांच तीसरे, छठे, नौंवे माह में करवाई जाती है। प्रसव पूर्व जांच सभी महिलाओं के लिए आवश्यक है। आवश्यकता पड़ने पर और भी जांच करवानी पड़ती है। इसके अलावा पेट संबंधी बीमारी की जांच पथरी पिताशय, अपेंडिक्स, किडनी, छोटी आंत, बड़ी आंत में रुकावट होने पर सोनोग्राफी जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे केस में या तो रोगी प्रतापगढ़ जाता है या फिर प्राइवेट केंद्रों पर सोनोग्राफी करवाता है।
इनका कहना है
चिकित्सालय से कार्रवाई पूर्ण कर सीएमएचओ को भेज दी थी, लेकिन सीएमएचओ कार्यालय से शुरू करने के आदेश नहीं आए थे। अब जल्द ही कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी।
डॉ. विजय गर्ग, चिकित्सा प्रभारी सामुदायिक अस्पताल छोटीसादड़ी