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लाइसेंस में पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार का नवाचार, ऑनलाइन मिलेंगे काश्तकारों को लाइसेंस
सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए जारी नई अफीम नीति किसानों के हित में हैं, नई नीति में इस बार हजारों किसानों को अफीम की खेती से जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को राहत मिलेगी, वहीं अफीम लाइसेंस में पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार ने नवाचार करते हुए इस बार अफीम का लाइसेंस ऑनलाइन प्रक्रिया से मिलेंगे। केन्द्र की किसान हितैषी सरकार द्वारा नई अफीम नीति में किसानों को हित में रख कर लिए गए निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री एवं विधायक श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार सदैव अफीम किसानों के लिए सकारात्मक रूप से काम करती आई है। इसी संबंध में आज घोषित की गई यह अफीम पॉलीसी किसान हितैषी है। इस नई नीति के माध्यम से हजारों किसानों को जोड़ा जाएगा।
कृपलानी ने कहा कि नई अफीम पॉलीसी में फसल वर्ष 2023-24 के दौरान जिन किसानों ने सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की उन्हें इससे वंचित नहीं रखा जाएगा, वहीं जिन काश्तकारों ने वर्ष 2023-24 के दौरान 675 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम पोस्त भूसे की औसत उपज पेश की है, उन्हें फसल वर्ष 2024-25 के दौरान अफीम पोस्त की खेती से होल्ड किया गया है। हालांकि वे अगले फसल वर्ष के लिए लाइसेंस रखना जारी रखेंगे और उस वर्ष की नीति के द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन खेती के लिए पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि इस नई नीति में ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे, वहीं ऐसे काश्तकार जिन्होंने 2023-24 के दौरान प्रति हैक्टेयर 900 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसा दिया, लेकिन यदि वे फसल वर्ष 2024-25 के लिए चीरा पद्धति को नहीं चुनते हैं और स्वेच्छा से सीपीएस पद्धति में खेती करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे।
इस नई अफीम नीति के माध्यम से वे किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा तथा फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। इस नीति में ऐसे किसान भी अफीम लाइसेंस के पात्र होंगे जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की।
इस नई अफीम नीति के माध्यम से क्षेत्र के हजारों अफीम किसानों को राहत प्रदान करने पर विधायक कृपलानी सहित पूर्व विधायक अशोक नवलखा, पंचायत समिति प्रधान बगदीराम धाकड़, उपप्रधान जगदीश आंजना, छोटीसादड़ी के पूर्व प्रधान महावीर सिंह कृष्णावत, निम्बाहेड़ा नगर अध्यक्ष नितिन चतुर्वेदी, भाजपा ओबीसी प्रकोष्ठ प्रदेश मंत्री एवं जिला परिषद सदस्य गब्बर सिंह अहीर, पूर्वी मण्डल अध्यक्ष अशोक जाट, पश्चिमी मण्डल अध्यक्ष राजेंद्र सिंह शक्तावत, कनेरा मण्डल अध्यक्ष जुगलकिशोर धाकड़, छोटीसादड़ी पूर्वी मण्डल अध्यक्ष कैलाश गुर्जर, पश्चिमी मण्डल अध्यक्ष रमेश गोपावत, नगर अध्यक्ष रामचंद माली, जिप सदस्य दलपत मीणा, शांतिलाल मेनारिया, विष्णु पाटीदार, डालचंद जणवा, मोतीलाल जणवा सहित भाजपा नेताओं ने क्षेत्र के किसानों, भाजपा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद सीपी जोशी के प्रति आभार व्यक्त करते है।
इधर, अफीम नीति में हो रही देरी को लेकर निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी ने कुछ दिनों पूर्व पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अफीम काश्तकारों के हित में शीघ्र नीति घोषित करने का आग्रह किया था, जिस पर सोमवार को ही केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने विधायक कृपलानी को शीघ्र कार्यवाही के लिए आश्वस्त किया था।