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सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा।
राजस्थान सरकार के 16 वीं विधानसभा के तीसरे सत्र (बजट सत्र) के अन्तर्गत बुधवार को ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के दौरान पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री एवं विधायक श्रीचंद कृपलानी ने नियम 131 के अन्तर्गत सदन का ध्यानाकर्षण करते हुए चरनोट भूमि को आवश्यकता अनुसार आबादी भूमि में परिवर्तित कर आमजन को राहत देने की मांग रखी। इस पर राजस्व मंत्री ने जवाब देते हुए बताया की राज्य सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न नियमों के अन्तर्गत राजस्व विभाग एवं पंचायत राज विभाग द्वारा समय समय पर परिपत्र के माध्यम से आदेश जारी किए गए हैं।
मंत्री मीणा ने बताया कि जगपाल सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य व अन्य के प्रकरण में पारित निर्णय के द्वारा कॉमन लेंड भूमियों पर अनाधिकृत अतिक्रमणों को हटाने का प्रावधान है। मंत्री मीणा ने बताया कि केवल असाधारण विशेष परिस्थितियों में ही नियमित किया जाना अनुमत है। इसी प्रकार गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार में पारित निर्णय के अनुसार चारागाह भूमियों पर अतिक्रमणों को हटाना के निर्देश हैं, आबादी क्षेत्र, आरक्षित भूमियों पर बसी बस्तियों को उनके गुण एवं अवगुणों के आधार पर नियमित किया जा सकता है। इस हेतु राज्य सरकार समय समय पर अभियान भी संचालित करती है। चारागाह भूमि पर अतिक्रमण कर बसी सघन आबादी को नियमित करने के लिए विभाग द्वारा पॉलिसी जारी की गई। उक्त पॉलिसी के सम्बंध में उच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं पर 30-35 वर्षों से निवासरत परिवारों को अधिकतम सौ वर्ग फिट के पट्टे जारी करने के निर्देश हैं।
इस पर विधायक श्रीचंद कृपलानी ने मंत्री हेमंत मीणा द्वारा दिए गए जवाब के प्रति उत्तर में सदन के माध्यम से ध्यानाकर्षित करते हुए बताया कि विभिन्न प्रकरणों में न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों के आधार पर राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं में भी चित्तौडग़ढ़ एवं प्रतापगढ्र जिले ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राजस्थान में आज भी कई परिवारों को भूमि का मालिकाना हक नहीं मिला है, जिसके चलते वे सरकार की विभिन्न योजनाओं से वंचित हैं।
विधायक कृपलानी ने कहा कि वर्ष 2003-04 में चित्तौडग़ढ़ के तत्कालिन जिला कलेक्टर रणजीत सिंह गठाला द्वारा एक ही निर्णय से हजारों बीघा बिलानाम भूमि को चारागाह में परिवर्तित कर दिया, जिन्हे दोबारा बिलानाम किया जाए। साथ ही उन्होने कहा कि आदिवासी क्षेत्र हो या आवासीय और गैर आवासीय कब्जे जो एससी की भूमि पर है को पूरे राजस्थान में कहीं भी पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं। कृपलानी ने कहा कि ऐसी भूमि पर वर्षों से निवासरत आमजन को राहत देने के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए, वहीं चरनोट की भूमि कई खेतों व गांवों के मार्ग बने हुए हैं उन्हे भी नियमित करना चाहिए।
विधायक कृपलानी ने कहा कि राज्य सरकार को विधानसभा एवं केन्द्र सरकार को लोकसभा में नियम बनाकर आमजन को राहत देने का कार्य भी हम सभी को मिलकर करना होगा। विधायक कृपलानी ने कहा कि जब एक कलेक्टर एक आदेश से हजारों बीघा बिलानाम भूमि को चरनोट में बदल सकता है, राज्य सरकार किसी भी उद्योग को चरनोट की भूमि को आवंटित कर सकती है तो वर्षों से चरनोट व बिलानाम भूमि पर बसी आबादी को नियमित करने में संवेदनशीलता के साथ कार्य किया जा सकता है।
इस पर हेमंत मीणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार आने वाले समय में सरकार कार्य करेगी तथा सरकार गंभीरता के साथ इस विषय पर विचार करेगी।
मंत्री मीणा ने बताया कि जगपाल सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य व अन्य के प्रकरण में पारित निर्णय के द्वारा कॉमन लेंड भूमियों पर अनाधिकृत अतिक्रमणों को हटाने का प्रावधान है। मंत्री मीणा ने बताया कि केवल असाधारण विशेष परिस्थितियों में ही नियमित किया जाना अनुमत है। इसी प्रकार गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार में पारित निर्णय के अनुसार चारागाह भूमियों पर अतिक्रमणों को हटाना के निर्देश हैं, आबादी क्षेत्र, आरक्षित भूमियों पर बसी बस्तियों को उनके गुण एवं अवगुणों के आधार पर नियमित किया जा सकता है। इस हेतु राज्य सरकार समय समय पर अभियान भी संचालित करती है। चारागाह भूमि पर अतिक्रमण कर बसी सघन आबादी को नियमित करने के लिए विभाग द्वारा पॉलिसी जारी की गई। उक्त पॉलिसी के सम्बंध में उच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं पर 30-35 वर्षों से निवासरत परिवारों को अधिकतम सौ वर्ग फिट के पट्टे जारी करने के निर्देश हैं।
इस पर विधायक श्रीचंद कृपलानी ने मंत्री हेमंत मीणा द्वारा दिए गए जवाब के प्रति उत्तर में सदन के माध्यम से ध्यानाकर्षित करते हुए बताया कि विभिन्न प्रकरणों में न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों के आधार पर राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं में भी चित्तौडग़ढ़ एवं प्रतापगढ्र जिले ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राजस्थान में आज भी कई परिवारों को भूमि का मालिकाना हक नहीं मिला है, जिसके चलते वे सरकार की विभिन्न योजनाओं से वंचित हैं।
विधायक कृपलानी ने कहा कि वर्ष 2003-04 में चित्तौडग़ढ़ के तत्कालिन जिला कलेक्टर रणजीत सिंह गठाला द्वारा एक ही निर्णय से हजारों बीघा बिलानाम भूमि को चारागाह में परिवर्तित कर दिया, जिन्हे दोबारा बिलानाम किया जाए। साथ ही उन्होने कहा कि आदिवासी क्षेत्र हो या आवासीय और गैर आवासीय कब्जे जो एससी की भूमि पर है को पूरे राजस्थान में कहीं भी पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं। कृपलानी ने कहा कि ऐसी भूमि पर वर्षों से निवासरत आमजन को राहत देने के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए, वहीं चरनोट की भूमि कई खेतों व गांवों के मार्ग बने हुए हैं उन्हे भी नियमित करना चाहिए।
विधायक कृपलानी ने कहा कि राज्य सरकार को विधानसभा एवं केन्द्र सरकार को लोकसभा में नियम बनाकर आमजन को राहत देने का कार्य भी हम सभी को मिलकर करना होगा। विधायक कृपलानी ने कहा कि जब एक कलेक्टर एक आदेश से हजारों बीघा बिलानाम भूमि को चरनोट में बदल सकता है, राज्य सरकार किसी भी उद्योग को चरनोट की भूमि को आवंटित कर सकती है तो वर्षों से चरनोट व बिलानाम भूमि पर बसी आबादी को नियमित करने में संवेदनशीलता के साथ कार्य किया जा सकता है।
इस पर हेमंत मीणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार आने वाले समय में सरकार कार्य करेगी तथा सरकार गंभीरता के साथ इस विषय पर विचार करेगी।