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सीधा सवाल। डूंगला ।अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) के अनुसार शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखना चाहिए, क्योंकि यह देश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 एक बड़ा ऐतिहासिक सुधार है, जिसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुसार बेहतर बनाना है, वहीं हमारी भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता को भी बनाए रखना है।
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पुष्करणा ने बताया कि शैक्षिक महासंघ त्रि-भाषा सूत्र और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पूरे देश में लागू होने का पुरजोर समर्थन करता है। हमारे राष्ट्र का सांस्कृतिक लोकाचार भाषाई विविधता और राष्ट्रीय एकता को एक दूसरे का पूरक मानता है। एनईपी 2020 में त्रि-भाषा सूत्र के तहत किन्हीं भी दो भारतीय भाषाओं को पढ़ाया जा सकता है, जबकि तीसरी भाषा भारतीय या विदेशी हो सकती है। यह नीति बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है, लचीलापन प्रदान करती है, और प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा या स्थानीय भाषा में देने का समर्थन करती है।
जिला अध्यक्ष पूरण मल लौहार के अनुसार एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि भाषाई विविधता भारत के जीवंत और विविधतापूर्ण सामाजिक ताने-बाने की ताकत है, जिसे एनईपी 2020 उपयुक्त रूप से बढ़ावा देती है। उन्होंने दोहराया कि एनईपी 2020 किसी भी भाषा को थोपती नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भाषाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करती है, जिससे समावेशिता और शैक्षिक उन्नति सुनिश्चित होती है।
एबीआरएसएम की महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य सरकारें संकीर्ण राजनीतिक हितों के कारण एनईपी 2020 का विरोध कर रहे हैं, जिससे छात्र, शिक्षक और शैक्षणिक संस्थान इसके व्यापक अवसरों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इसके लाभों को पहचानते हुए एनईपी के तत्वों को अपनाया है। इसलिए, इस परिवर्तनकारी नीति का राजनीतिकरण करना और केन्द्र सरकार द्वारा समर्थित सहकारी संघवाद की भावना की अवहेलना करना अनुचित है।
अतिरिक्त जिला मंत्री नर्बदा शंकर पुष्करणा के अनुसार राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री महेंद्र कुमार लखारा ने कहा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्रधानमंत्री की भाषाओं और सांस्कृतिक धरोहर को लेकर प्रतिबद्धता का स्वागत करता है, जो काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के जरिए दिखाई दे रही है। ये पहल तमिलनाडु और देश के अन्य हिस्सों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती हैं। इसके साथ ही अनुवादिनी और भाषिणी जैसे एआई आधारित टूल्स सरकार की भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
शैक्षिक महासंघ सभी हितधारकों से राष्ट्र के शैक्षिक परिदृश्य की बेहतरी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का समर्थन करने का आग्रह करता है। शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सशक्तिकरण, ज्ञान और राष्ट्रीय प्रगति का साधन बना रहना चाहिए। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के चित्तौड़गढ़ से संभाग संयुक्त मंत्री रमेश चंद्र पुरोहित,प्रदेश प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के मदन लाल जोशी,प्रदेश महिला कार्य समिति सदस्य पवन शेखावत,जिला संगठन मंत्री डॉ हीरा लाल लुहार,जिला संगठन मंत्री महिला नौसर जाट,जिला सभाध्यक्ष तेजपाल सिंह शक्तावत,उपसभाध्यक्ष उदय लाल अहीर और सैयद मुकर्रम अली,वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश दत्त व्यास, उपाध्यक्ष(पुरुष) नाथू लाल डांगी,उपाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा हमीर सिंह चुंडावत,उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षा बीरबल सिंह, उपाध्यक्ष संस्कृत शिक्षा कैलाश चंद्र मालू,सचिव माध्यमिक गोपाल व्यास,सचिव प्राथमिक मुकेश त्रिपाठी,सचिव संस्कृत इकबाल हुसैन,सचिव महिला बसंती सुथार,अतिरिक्त जिला मंत्री नर्बदा शंकर पुष्करणा,महिला मंत्री मधु जैन,कोषाध्यक्ष सागर मल पटवा एवं सदस्य अध्यापक सुशील कुमार लड्डा,वरिष्ठ अध्यापक सदस्य दिनमान वशिष्ठ,प्राध्यापक सदस्य सत्यनारायण गर्ग ,प्रधानाचार्य सदस्य रविन्द्र सिंह सिसोदिया,संस्कृत शिक्षक सदस्य कन्हैया लाल तंबोली,प्रयोगशाला सहायक सदस्य नरपत सिंह चौहान,शारीरिक शिक्षक सदस्य चावंड सिंह चुंडावत,सेवानिवृत्त शिक्षक नक्षत्र मल शर्मा ,प्रबोधक सदस्य चंदन सिंह शक्तावत सहित जिला कार्यकारिणी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का समर्थन करते इसे राष्ट्र हित में ऐतिहासिक निर्णय बताया।