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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राम कथा प्रसंग में आज भगवान प्रभु श्री राम द्वारा गौतम ऋषि पत्नी के उद्धार का प्रसंग श्रवण कराया गया गौतम ऋषि द्वारा अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप देने के कारण वह पत्थर की बन गई थी और श्राप से मुक्त होने का एक ही उपाय बताया कि प्रभु राम जब यहां आयेंगे तब उनके चरणो की रज पाकर तुम्हारा उद्धार हो जायेगा I यदि गोतम ऋषि द्वारा श्राप नहीं दिया होता तो अहिल्या को प्रभु चरणों की रज कैसे मिलती ?श्राप के कारण ही प्रभु चरणों की रज मिली भगवान सदेव अपने भत्तों पर अहेतु की कृपा करते हैं l प्रभु श्री राम के चरण अहिल्या को छुए थे इस पर श्री राम को बड़ा पश्चाताप हुआ क्योंकि उन्होंने अपने पैर से एक नारी को छुआ था इस पाप का पश्चाताप करने के लिए प्रभु श्री राम गंगा स्नान को गए थे यह है हमारे सनातन धर्म की परंपरा l माँ गंगा, नदी न होकर साक्षात 'सुरसुरी' है l
जिस प्रकार बसंत के आने से प्रकृति सवर जाती है उसी प्रकार जीवन में संत के आने से जीवन संवर जाता है प्रभु श्री राम जनकपुर में जब पुष्प वाटिका में प्रवेश करते हैं तो उनको वहां के माली रोक देते हैं और कहते हैं पहले आप सीता मैया की जय बोलो उसी के बाद ही आपको पुष्प वाटिका में प्रवेश मिलेगा राम लक्ष्मण दोनों सीता मैया की जय बोल कर पुष्प वाटिका में प्रवेश करते हैं यहा गोस्वामी तुलसीदास जी य़ह लिखते है कि भक्ति के जयकारे के बिना भक्ति का प्रवेश हृदय में नहीं होता है यहां सीता भक्ति स्वरूपा है उनके पांव की आवाज प्रभु श्री राम सुनते हैं तो श्रवण भक्ति का प्रवेश राम के हृदय में होता है l मंगल कार्यों में जब महिलाएं अपने सर पर कलश धारण करती है तो उसे स्त्री के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं ऐसी हमारे सनातन धर्म की मान्यता है l आज कथा प्रसंग में अहिल्या उद्धार ,सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद के प्रसंग भक्तों को सुनाए गए l संत रमता राम जी के सानिध्य में श्री राम कथा का आयोजन हो रहा है हजारों की संख्या में भक्तजन कथा का अमृत पान कर रहे हैं I