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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राम कथा के दौरान संत दिग्विजय राम जी ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां भ्रातत्व प्रेम का संदेश मिलता है l आज कलयुग में एक भाई दूसरे भाई को नहीं देखना चाहता प्रेम का स्थान आज संपत्ति ने ले लिया है भाई प्रेम को नहीं संपत्ति को महत्व देते हैं l इस धरा पर भरत के समान 'राम स्नेही' कोई और नहीं हो सकता है सारा जग राम- राम रटता है लेकिन राम भरत को जपते हैं यह है प्रभु का प्रेम l दिग्विजय राम जी ने अरण्य कांड का वर्णन करते हुए बताया कि जयंत कौवे का रूप धारण कर सीता मैया के पांव में चोंच से गाव कर देता है तो भगवान क्रोधित होकर उस पर बाण चला देते हैं जयंत सभी जगह जाकर शरण मांगता है और भगवान के बाण से अपनी रक्षा करने को कहता है परंतु सभी देवता गण उसकी रक्षा करने से मना कर देते हैं ऋषि नारदजी कहते हैं कि तुमको केवल भगवान राम ही क्षमा कर सकते हैं अतः तुम राम की शरण में जाओ जयंत भगवान की शरण में जा पहुंचता है और भगवान उसको माफ कर देते हैं l भगवान पापी से पापी व्यक्ति को भी क्षमादान देते हैं l वन में लक्ष्मण जी प्रभु श्री राम से यह पूछते हैं कि प्रभु आपकी माया किया है ? तो भगवान उत्तर देते हैं कि जहां तक दिखाई दे रहा है वह मेरी माया है माया दो प्रकार की हे विद्या माया दूसरा अविद्या माया विद्या माया व्यक्ति को भगवान के समीप ले आती है और अविद्या माया व्यक्ति को भगवान की भक्ति से दूर कर देती है , यह केवल राम लक्ष्मण संवाद नहीं है यह प्राणी मात्र का संवाद है l प्रभु श्री राम कहते हैं मैं व्यक्ति को नहीं मारता व्यक्ति अपने कर्मों से मर जाता है l संत मारीच राक्षस के वध के बारे में बताते हैं की दुष्ट के हाथ से मरने से अच्छा है भगवान के हाथ से मरना जिससे लोक व परलोक दोनों सुधर जाते हैं l व्यक्ति को समय आने पर क्रोध भी करना चाहिए अगर समय पर क्रोध नहीं करता है तो उसका परिणाम उल्टा होता है जिस प्रकार महाभारत में समय पर भीष्म पितामह द्वारा क्रोध नहीं किया गया था तो उनको बाण की शय्या मिली और रामायण काल में गिद्धराज जटायु द्वारा समय पर क्रोध किया गया तो जटायु को भगवान की गोद मिली अत: समय पर व्यक्ति का क्रोध करना भी उचित है l शबरी चरित्र का वर्णन करते हुए संत श्री ने बताया कि' जिस व्यक्ति के अंदर सब्र हो वही सबरी है' यह राम कथा सत्संग के बेर है इसे चुन लो कभी ना कभी तुम्हारे घर भी राम आयेगे l प्रभु श्री राम ने सबरी को नवेदा भक्ति दी थी l सबरी को भगवान के द्वार नहीं जाना पड़ा प्रभु स्वयं चलकर सबरी के द्वार आए थे यह है भक्ति की पराकाष्ठा l नवेदा भक्ति में से व्यक्ति किसी एक को सिद्ध कर लेता है तो उसका लोक व परलोक दोनों सुधर जाते हैं l भक्ति पर नर , नारी सभी का अधिकार है l
राम कथा श्रद्धेय संत रमता राम जी के पावन सानिध्य में भक्तजनों को श्रवण कराई जा रही है l आज कथा प्रसंग में प्रभु श्री राम द्वारा भरत जी को अपनी चरण पादुका देना, शूर्पणखा वध, सीता हरण, जटायु उद्धार, शबरी चरित्र , राम हनुमान मिलन के प्रसंग बताए l कथा में हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे कल राम कथा का विश्राम होगा l