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सीधा सवाल। कपासन।।श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में अंबेश भवन मे प्रवचन में बच्चों को अच्छे संस्कार देने पर जोर दिया।पहले हमारा बड़ों का सम्मान का आदर भाव का बड़ा सुंदर तरीका था आगे श्री और पीछे जी हम लगाते हैं। वही आजकल बच्चे अपने माता पिता का नाम कैसे लेते हैं आप सभी को पता है।मां माताजी पिताजी दादा जी जैसे मीठे शब्दों को हमने मॉम,डेडी,ददु,जिजु में परिवर्तन कर दिया है।बच्चों को आप भौतिक शिक्षा दीजिए पर घर की शिक्षा आदर भाव की शिक्षा भी उतनी ही जरूरी हैं। क्योंकि आपका व्यवहार आपके सामने वालों से बातचीत का तरीका आपके संस्कारों की वसीयत बताता है। बच्चों को कार से ज्यादा संस्कारों की आवश्यकता का संदेश आज साध्वी डाँ .सुलोचना श्री जी ने अंबेश भवन मे पयुर्षण के पाँचवे दिन प्रवचन मे दिया। तथा बताया कि हमारा परिवार खुशहाली परिवार माता पिता का सम्मान करो,एक नारी आती है घर को स्वर्ग बनाती है,एक नारी आती है वह घर को नर्क बना देती है। माता पिता पति देव को प्रणाम करो इस प्रकार परिवार मे शान्ति का वातावरण रहे ऐसा प्रेम बनाते रहो।परम पूज्या डॉ . सुलक्षणा श्री जी विचारों को चिंतनशील बनाने की बात करते हुए कहा एक बार दृष्टिहीन व्यक्ति सुरक्षित सुखी रह सकता है।पर विचारों से दृष्टिहीन व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता। सास अपनी बहु को बेटी समझ लेवे बहु सास को माँ समझे लेवे तो घर स्वर्ग बन जायेगा। समाज भी एक दूसरे को सम्मान के रूप में समझे तो अपने समाज मे भी सुधार आ सकता है।संघ अध्यक्ष सूर्य प्रकाश सिरोया ने बताया कि आज प्राचल कोठारी ने 8, सुनीता सांवला 6, अशोक बाफना 5 ,सुरभि बाफना 5, उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कही भाइयो बहनो ने एकासन आयबिल दया उपवास व तेले के पच्चखान लिए। आज की प्रभावना अशोक कुमार सूर्य प्रकाश सिरोया की ओर से थी।