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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राष्ट्रीय बजरंग दल के तत्वावधान में वीरांगना विधुलता के शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि देकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये।
राष्ट्रीय बजरंग दल तहसील अध्यक्ष शिव प्रकाश लोधा ने बताया कि सन 1303 में लुटेरे अलाउद्दीन खिलजी ने जब चित्तौड़गढ़ महारानी पद्मावती को प्राप्त करने व मेवाड़ पर अपना अधिपत्य जमाने की चाहत में जब चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया उसी दौरान लोधा समाज की एक वीरांगना और भी थी जिसने मेवाड़ की आन-बान व शान के खातिर अपना देह त्याग किया। उस विरांगना विधुलता लोधा के 26 अगस्त को ही शहीद होने पर मंगलवार को श्रद्धांजलि अर्पित कर बराड़ा स्कूल में मिठाई वितरित की और वृक्षारोपण किया।
श्रद्धांजलि सभा में शिवप्रकाश लोधा ने बताया कि मेवाड़ का सेनानायक समरसिंह विधुलता से प्रेम करता था। वह प्रेम में इस कदर गिर गया कि अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण पर वह अपनी प्रेमिका से बिछुड़ने व उसे खो देने के डर से अपनी जान बचाने की जुगत लगाने लगा। इसी के चक्कर में उसने दुश्मन सेना को कुछ राज बताकर अपनी जानमाल की रक्षा का बंदोबस्त कर लिया ताकि उसकी व विधुलता की जिन्दगी आगे आराम से कट सके। तब वह विधुलता के पास आया और कहा कि मैं नहीं चाहता कि प्रेम की यह पवित्र भावना इस युद्ध में नष्ट हो जाए। मैं रणभूमि से भाग आया हूँ। आओ, हम कहीं दूर चलें और अपने प्रेम को बचा लें।
विधुलता उदार, सुसंस्कारी और धर्मपरायण थी। इतना सूनना था कि विघुलता का मुख क्रोध से तपने लगा। उसने कहा, जब मातृभूमि पर शत्रु आक्रमण कर रहे हैं, तब तुम्हारा रण से भागना घोर अपमानजनक है। राजपूत कन्याएँ ऐसे कायरों से प्रेम करना अधर्म मानती हैं। यदि तुम रणभूमि में वीरगति को प्राप्त होते, तो मैं गर्व करती। सांसारिक मिलन न सही, पर स्वर्गिक प्रेम अमर रहता।
विघुलता के शब्द समर के कठोर हृदय को भी न पिघला सके। समर ने उसके निकट आकर उसे स्पर्श करना चाहा, उसने कमर से कटार निकाल अपनी छाती में भोंक ली। समर ने उसे रोकना चाहा, पर वह उस अधर्मी के स्पर्श से पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी थी।
इस दौरान लोधा महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव लोधा, बजरंग सेवा समिति के सदस्य विजय वैष्णव, गरबा मंडल पंचवटी के सदस्य विजेश चौधरी, राष्ट्रीय बजरंग दल ग्राम उपाध्यक्ष राजेंद्र लोधा, हरीश धाकड़, कुनाल शर्मा, कुशपेंद्र सिंह चुंडावत, मनोज धाकड़, श्रावण चौधरी, शिव चौधरी, राजकुमार जैसवाल, समिति कांटा, लोकेश धाकड़, हरिओम धाकड़, आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की।