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सीधा सवाल। बिनोता। कस्बे के दिगम्बर जैन समाज द्वारा आदिनाथ मंदिर में पर्व राज पर्यूषण व दशलक्षण महापर्व उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान विधानाचार्य पंडित अरिहंत जैन ‘हेमंत’ की उपस्थिति में विविध धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हो रहे हैं।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए पंडित जैन ने कहा कि प्रकृति का नियम है कि जो निरंतर देता है, वह निर्बाध प्राप्त भी करता है। आज का दिया हुआ कल हजार गुना होकर लौटता है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में त्याग धर्म की दो व्याख्याएं मिलती हैं—मुनियों के लिए परिग्रह की निवृत्ति त्याग है जबकि गृहस्थों के लिए दान ही त्याग का स्वरूप है।
समाज के लक्ष्मी लाल तिमरुवा ने बताया कि महापर्व को भव्य बनाने और जिनधर्म की महिमा को समझाने के लिए बैतूल (म.प्र.) से पं. अरिहंत जैन हेमंत को आमंत्रित किया गया है। प्रतिदिन प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, भक्तिमय पूजन के साथ त्रिलोकीनाथ भगवान की जलधारा की जा रही है। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र व बालबोध क्लास और संध्या काल में सामायिक, प्रतिक्रमण, प्रवचन, प्रश्न मंच व सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं।
पंडित जैन ने दशलक्षण धर्म के महत्व को समझाते हुए कहा कि क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रह्मचर्य—ये दस धर्म किसी भी साधक को भगवान बनने के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।
पूजा-अर्चना और विभिन्न कार्यक्रमों में समाज के पुरुष, महिलाएं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर सोहन लाल जैन, मिश्री लाल जैन, नेमीचंद तिमरुवा, कांतिलाल पटवारी, भूपेंद्र पटवारी, शुभम भीमावत, संजय कोठरी, विमला भीमावत, सुमन जैन, रजनी, रानू, प्रतिभा, शिवानी जैन, आशा पटवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। वहीं बच्चों की बाल मंडली वंश जैन, काव्य, दृष्टि, जोएल, लक्ष्य, हियांश, जिनीशा, निर्वाण, धीर, नव्या, विराट, दक्ष आदि ने प्रतियोगिताओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया।