7329
views
views
सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। उपखंड क्षेत्र के जलोदिया केलूखेड़ा गांव में शुक्रवार को उस समय हर आंख नम हो गई जब सामाजिक कार्यकर्ता माणक जाट के असामयिक निधन के बाद उनकी बेटियों ने ही पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट पर जाकर मुखाग्नि दी। बेटियों का यह साहसिक कदम गांव ही नहीं, पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया। जानकारी में सामने आया कि 45 वर्षीय माणक जाट का अचानक हार्ट अटैक आने से निधन हो गया। उल्लेखनीय है कि महज चार महीने पूर्व ही उनके पिता शांतिलाल जाट की खेत पर कृषि कार्य करते समय करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। उस समय भी माणक ने परिवार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अब परिवार पर दुख का दोहरा पहाड़ टूट पड़ा है।
बेटियों का साहस
मृतक के एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। समाज में प्रचलित परंपराओं को तोड़ते हुए बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। श्मशान घाट पर भी वे अंतिम समय तक साथ रहीं और परंपरागत रस्म निभाते हुए मुखाग्नि दी। यह भावुक दृश्य देखकर हर कोई गमगीन हो उठा। इस दौरान मौजूद ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश जाट ने कहा आज बेटियों ने साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं। वे परिवार की ढाल भी हैं और सहारा भी।
माणक जाट मिलनसार और समाजसेवा की भावना से प्रेरित व्यक्ति थे। उनके अचानक चले जाने से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम यात्रा में ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा। बेटियों के साहस और संस्कार को देखकर कई लोगों की आंखें भर आईं।