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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मेवाड़ विश्वविद्यालय में गुरुवार को शिक्षक दिवस अत्यंत श्रद्धा, उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच आपसी संबंधों को सुदृढ़ करने वाला रहा, बल्कि यह दिन सभी के लिए एक अविस्मरणीय स्मृति बन गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. आलोक मिश्रा, डीन अकेडेमिक्स प्रो. डॉ. दीपक व्यास, विभिन्न विभागों के प प्राध्यापक, गणमान्यजन एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसमें कुलपति सहित विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य डॉ. अरुणा दुबे ने शिक्षा के महत्व और गुरु की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को जीवन में शिक्षा के मूल्यों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। इसके पश्चात सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला हुई, जिसमें विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। राहुल रेगर और सपना जोशी के शास्त्रीय नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंजुम की संगीतमय प्रस्तुति ने वातावरण में मधुरता घोल दी। गणेश व टीम, देवी सिंह व टीम, तथा बौद्ध प्रकाश व टीम द्वारा प्रस्तुत नाट्य मंचनों ने सामाजिक विषयों और गुरु-शिष्य परंपरा पर गहन संदेश दिए। हरषिता, प्रियांका और अन्य छात्रों द्वारा दिए गए ओजस्वी भाषणों ने शिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया। समूह एवं युगल नृत्य में भारतीय संस्कृति, गुरु वंदना और समर्पण की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी। कुलपति प्रो. डॉ. आलोक मिश्रा ने विद्यार्थियों को शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य को समझने और अपने गुरुओं के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता बनाए रखने का संदेश दिया। प्रो. डॉ. दीपक व्यास ने आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की और विशेष रूप से छात्रों की अनुशासित एवं उत्साहपूर्ण सहभागिता की सराहना की। कार्यक्रम के अंत में शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से सभी का आभार जताया।