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सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा। नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को विशेष महत्व दिया गया है। इसका उद्देश्य केवल आधुनिक विज्ञान और तकनीक तक शिक्षा को सीमित न रखकर भारत की सांस्कृतिक, दार्शनिक और पारंपरिक ज्ञान-सम्पदा को भी शिक्षा का हिस्सा बनाना है। उक्त विचार अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय निंबाहेड़ा में आयोजित संवाद में व्यक्त किए गए।
नीति से परिवर्तन तक: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पाँच वर्ष विषयक उक्त संवाद की प्रस्तावना करते हुए डॉ. राजेंद्र कुमार सिंघवी ने भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसमें प्राचीन भारतीय शिक्षा-प्रणाली का पुनर्प्रकाश है।
मुख्य वक्ता प्रो. गौतम कुमार कूकड़ा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आधारभूत संरचना को रेखांकित किया और इसमें निहित प्रमुख बिंदुओं को विकसित भारत की राह में मील का पत्थर बताया। विशिष्ट अतिथि डॉ. लोकेश जसोरिया ने विद्यार्थियों को दक्षता आधारित पाठ्यक्रमों की जानकारी दी, जिससे वे अपना भविष्य सफल बना सके।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. आशुतोष व्यास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्तमान की आधारशिला और स्वर्णिम भविष्य का मार्ग बताया। परिचर्चा में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का उत्तर विशेषज्ञों द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम का संयोजन राकेश कुमार खटीक ने किया। आभार डॉ. देवाराम ने प्रकट किया। इस कार्यक्रम में भगवान साहु, डॉ. अशोक मूलवानी, सीमा विजय, शिल्पा नागोरी, डॉ. नीलम सेठी, उदय राम अहीर, श्रीराम शर्मा, डॉ. सचिन सत्तावन, नवेद मोहम्मद, अनिल शर्मा, दुष्यंत डीडवानिया, हरफूल मीणा, राजवीर कड़वासरा, तनीष शर्मा, मुस्कान मंसूरी सहित महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।