चित्तौड़गढ़ - अफीम नीति में हजारों किसानों को मिलेगा लाभ, केंद्र सरकार की नवरात्रि से पहले किसानों को सौगात
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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए जारी अफीम पॉलीसी से इस बार हजारों किसान और जुड़ जाएंगे। मोदी सरकार अफीम किसानों के लिए हमेशा सकारात्मक रूप से काम करती है। यह पॉलिसी किसान हितैषी है। इस पॉलिसी के कारण हजारों नए किसानों को खेती का अवसर मिलेगा। इस पॉलिसी में किसानों के द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने फिर एक बार किसान हितेषी अफीम पॉलिसी को जारी किया है। यह बात चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी. जोशी ने वर्ष 2025-26 के लिए जारी की गई अफीम पॉलीसी का स्वागत करते हुए उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
संसदीय कार्यालय द्वारा बताया गया कि नई अफीम पॉलीसी में लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) गत वर्ष 2024-25 में जिन अफीम लाईसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा।

ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2024-25 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की, जिन्होंने तोल केन्द्र पर पोस्त भूसा प्रस्तुत किया तथा जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा।

ऐसे किसान जिन्होंने फसल वर्ष 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 के दौरान नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में फसल की हंकाई कर दी, लेकिन वर्ष 2021-22 में फसल को नहीं हांका गया, वे किसान भी पात्र होंगे।

ऐसे किसान जिनकी लाइसेंस इनकार करने के खिलाफ अपील को वर्ष 2024-25 में निबटान की अंतिम तिथि के बाद अनुमति दी गई।

ऐसे किसान को फसल वर्ष 2024-25 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की।

ऐसे कृषक जिन्हें मृतक पात्र कृषक द्वारा फसल वर्ष 2024-25 के लिए नामित किया गया था।

अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखण्ड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा।

यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं।

सीपीएस पद्धति

इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटीफिकेशन जारी हुआ है। सीपीएस पद्धति जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, में वे किसान पात्र होंगे। जिन्होंने फसल वर्ष 2024-25 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हैक्टेयर 800 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो। जिन काश्तकारों ने वर्ष 2024-25 के दौरान 800 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम पोस्त भूसे की औसत उपज पेश की है, उन्हें फसल वर्ष 2025-26 के दौरान अफीम पोस्त की खेती से होल्ड किया गया है। हालांकि वे अगले फसल वर्ष के लिए लाइसेंस रखना जारी रखेंगे और उस वर्ष की नीति के द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन खेती के लिए पात्र होंगे। वे किसान जिनके लाइसेंस फसल वर्ष 2023-24 के दौरान प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम से कम का पोस्त भुसा उपज होने के कारण होल्ड कर दिये गये थे उनको भी इस वर्ष पात्र रखा गया हैं।
ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2024-25 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे। ऐसे काश्तकार जिन्होंने 2024-25 के दौरान प्रति हैक्टेयर 900 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसा दिया, लेकिन यदि वे फसल वर्ष 2025-26 के लिए चीरा पद्धति को नहीं चुनते हैं और स्वेच्छा से सीपीएस पद्धति में खेती करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे।
वे काश्तकार जो फसल वर्ष 2024-25 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करण से लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सके या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद वास्तव में अफीम की खेती नहीं की। किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा।

ऐसे किसान जिनकी लाइसेंस इनकार करने के खिलाफ अपील को वर्ष 2024-25 में निबटान की अंतिम तिथि के बाद अनुमति दी गई।

ऐसे किसान को फसल वर्ष 2024-25 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की।

ऐसे कृषक जिन्हें मृतक पात्र कृषक द्वारा फसल वर्ष 2023-24 के लिए नामित किया गया था।

सीपीएस पद्धति में भी सभी पात्र किसानों को केवल एक भुखण्ड पर 0.05 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा।

यदि काश्तकार चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की भूमि को पट्टे पर ले सकता है।

सीपीएस पद्धति के लिए खेती के जो किसान पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2025-26 से जारी होकर फसल वर्ष 2029-30 तक प्रभावी रहेंगे।

पांच वर्ष तक जारी लाइसेंस की अवधि तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक किसान अवैध गतिविधियों में संलिप्त नहीं पाया जाता या एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया हो। या विभागीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया हो, या जिला अफीम अधिकारी के समक्ष स्वेच्छा से अपना लाइसेंस सरेंडर नहीं किया हो।

पात्र काश्तकारों के नाम सीबीएन वेबसाइट और सीबीएन ऑनलाइन पॉर्टल पर अपलोड किए जाएंगे तथा उन्हें मोबाइल नंबर पर संबंधित संदेश, मेल आदि माध्यमों से सूचित किया जाएगा। ऐसा करने से किसान पॉलिसी जारी होने के कुछ समय के भीतर ही पात्रता सूची में अपना नाम देख सकेंगे। सरकार का यह कदम लाइसेंस वितरण प्रक्रिया को सरल व सहज करेगा। इससे पारदर्शिता भी आएगी। अब किसान ऑनलाइन फॉर्म भरकर लाइसेंस प्राप्त कर सकता है तथा पात्र किसानों की सूची भी वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी।

मौजूदा लाइसेंसधारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।

इस ऐतिहासिक पॉलीसी पर सांसद सी.पी.जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन, वित्तराज्य मंत्री पंकज चौधरी का आभार प्रकट किया।




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