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सीधा सवाल। बस्सी।
सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत पावर कॉरपोरेशन द्वारा घर-घर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, लेकिन कस्बे और ग्रामीण इलाकों में इसका भारी विरोध सामने आ रहा है। उपभोक्ताओं में इसको लेकर असंतोष और भ्रम का माहौल बना हुआ है। लोगों को डर है कि स्मार्ट मीटर लगने से उनके बिजली बिलों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। नगर के सोनगर रोड क्षेत्र में शुक्रवार को मीटर लगाने पहुंची टीम को उपभोक्ताओं ने मीटर लगाने से रोक दिया और विरोध करते हुए टीम को वापस लौटा दिया। विरोध करने वालों का कहना है कि अभी तो मीटर पोस्टपेड हैं, लेकिन आगे जाकर अगर प्रीपेड सिस्टम लागू हुआ तो उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि मीटर लगाने वाले सिर्फ ठेकेदार और उनके कर्मचारी हैं, जबकि पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी मौके पर नहीं आते, जिससे लोगों का भरोसा और भी कम हो रहा है।
कुछ क्षेत्रों में तो कर्मचारियों के साथ बहस और धक्का-मुक्की की भी घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं को लेकर पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी भी चिंता में हैं। अधिकारियों के अनुसार, स्मार्ट मीटर पूरी तरह निशुल्क लगाए जा रहे हैं और इससे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
सहायक अभियंता ने बताया कि "स्मार्ट मीटर लगाने का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और रियल टाइम रीडिंग को आसान बनाना है। जितनी बिजली उपयोग की जाएगी, उतना ही बिल लिया जाएगा। उपभोक्ताओं को बेवजह डरने की जरूरत नहीं है।"
फिलहाल, लगातार विरोध के कारण स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। पावर कॉरपोरेशन अब लोगों को जागरूक करने और भ्रम दूर करने के लिए विशेष अभियान चलाने की तैयारी में है।
