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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भक्ति रूपी पौधे को बढ़ाना है तो उसमें सत्संग रूपी जल सिचना चाहिए भक्ति जब परिपक्व हो जाती है तो कोई भी उसको हानि नहीं पहुंचा सकता l भगवान ने भगवत गीता में कहा कि माया बड़ी ही दुष्कर है लेकिन जो मुझे भजेगा उसको माया प्रभावित नहीं करेगी l भक्ति के प्रभाव के कारण 'ध्रुव' को पिता की गोद न मिलकर परमात्मा की गोद में बैठने का अवसर मिला था I रामस्नेही संप्रदाय के आधाचार्य श्री रामच चरण जी महाराज ने अपनी वाणी में लिखा कि संसार में माया का पार पाना बड़ा मुश्किल है महाराज ने कहा कि माया बिचारी क्या करें क्योंकि संसार का हर जीव लालची होता है और माया के पीछे भागता है और माया भक्ति रूपी पौधे को खाने का प्रयास करती है माया व्यक्ति को अनेक प्रकार से अपने भंवर जाल में फंसाती है और व्यक्ति को भक्ति से दूर कर देती है इसलिए व्यक्ति को भगवत चिंतन बराबर करना चाहिए यही माया से बचने का एकमात्र उपाय है l यह संसार माया के प्रभाव से ही चल रहा है लेकिन इसके दुष्प्रभाव को रोकने के लिए भगवत चिंतन करना चाहिए जीवन में व्यक्ति माया- माया करता है.और उसको माया मिलती भी है लेकिन व्यक्ति ने तो दान कर पाता है और नहीं भोग करता है अंत में उसे माया का नाश ही होता है l केवल धन से प्रीत नहीं कर प्रभु से प्रीत करना चाहिए l भगवान ने व्यक्ति को जीवन यात्रा पर भेजा है हर व्यक्ति का वापस जाना तय है अतः समय रहते हरि कीर्तन, दान पुण्य कर लेना चाहिए l तुलसीदास जी ने रामायण में लिखा है'---
'अति विचित्र रघुपति की, माया जेही न मोही अर्थात रघुनाथ जी की माया बड़ी विचित्र है जिसने सबको मोहित कर रखा है इस माया के प्रभाव से केवल हरि नाम लेकर ही बचा जा सकता है l इस संसार में अर्थ (माया )के बिना सब व्यर्थ हैं लेकिन अर्थ का सदुपयोग सत कार्य में करना चाहिए l जब व्यक्ति के पास धन हो तो पराये भी अपने बन जाते हैं और यदि धन ना हो तो अपने भी पराये बन जाते हैं l पैसा जीवन में व्यक्ति को रोटी दे सकता लेकिन भूख नहीं अत: पैसा केवल गुजारा है सहारा नहीं ,सहारा केवल परमात्मा का है यदि समय पर पैसे का सदुपयोग नहीं किया तो आप पैसे के केवल चौकीदार बनकर रह जाओगे l मुख से भजन करो और हाथ से जितना हो सके सत्कर्म कर लो तो इस संसार के चक्र में नहीं पड़ेlगें l माया के साथ व्यक्ति का मन भी होना चाहिए तभी आदमी दान पुण्य कर सकता है भगवान द्वारा प्रदत्त माया को भगवत कार्य में लगाने से लोग व परलोक दोनों सुधर जाते हैं l
