पाली / जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं स्कूली बच्चे, प्रशासन बेपरवाह
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चित्तौड़गढ़ / निंबाहेड़ा - सड़क हादसे में युवक की मौत

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देसूरी में पुल की कमी, 50 छात्रों की जिंदगी खतरे में

सीधा सवाल 


पाली जिले के देसूरी उपखंड क्षेत्र के गुड़ा रावतान और डायलाना गांवों के करीब 50 स्कूली छात्रों को हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर गांधी विद्यालय पहुंचना पड़ता है। इसका कारण है कि इन गांवों से स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई पुल नहीं है, और बच्चों को बहती नदी को पार करना पड़ता है। खासकर बारिश के मौसम में जब नदी-नाले उफान पर होते हैं, तब स्थिति और भी भयावह हो जाती है। छोटे-छोटे बच्चे तेज धारा में बहने की कगार पर आ जाते हैं, जिससे न केवल बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों की चिंता भी बढ़ जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या वर्षों पुरानी है। स्थानीय निवासियों ने कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से नदी पर पुल निर्माण की मांग की है, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिले। प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद अधिकारियों का रवैया उदासीन बना हुआ है। 

 **खतरे में बच्चों की सुरक्षा** 

 गुड़ा रावतान और डायलाना गांवों के छात्रों को गांधी विद्यालय पहुंचने के लिए करीब 2-3 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जिसमें नदी पार करना सबसे बड़ी चुनौती है। बारिश के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर बच्चे कई बार स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं, जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। ग्रामीण रामलाल ने बताया, "हमारे बच्चे रोज जान हथेली पर रखकर स्कूल जाते हैं। कई बार तो छोटे बच्चों को बड़े बच्चे कंधे पर बिठाकर नदी पार करवाते हैं। अगर कोई हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?" 

 **प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों में आक्रोश** 

 स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार पंचायत, तहसील और जिला स्तर पर अधिकारियों से इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई, लेकिन हर बार उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया। गांव के सरपंच ने बताया कि पुल निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन बजट और तकनीकी कारणों का हवाला देकर प्रशासन टालमटोल करता रहा। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि अगर समय रहते पुल का निर्माण नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। 

 **हादसे का इंतजार कर रहा प्रशासन?** 

 इस क्षेत्र में नदी पर पुल न होने से न केवल स्कूली बच्चों बल्कि अन्य ग्रामीणों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में नदी पार करना और भी जोखिम भरा हो जाता है। कई बार ग्रामीणों को मीलों दूर वैकल्पिक रास्तों से सफर करना पड़ता है। अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। 

 **आगे की राह** 
 ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल प्रभाव से नदी पर पुल निर्माण शुरू करे ताकि बच्चों की जान को खतरे से बचाया जा सके। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि जब तक पुल का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर नाव या अन्य सुरक्षित साधन उपलब्ध कराए जाएं।

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