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वैद्य हंसराज चोधरी ने पूर्णायु अनुसंधान विद्यापीठ का किया निरीक्षण, दी सकारात्मक रिपोर्ट

विद्यापीठ में आधुनिक सुविधाओं से तैयार हो रहे आयुर्वेद चिकित्सक
सीधा सवाल। शाहपुरा।
दिगम्बर जैन समाज के धर्मगुरु आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। श्रीनवग्रह आश्रम सेवा संस्थान मोतीबोर का खेड़ा के संस्थापक अध्यक्ष एवं प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य वैद्य हंसराज चोधरी ने हाल ही में जबलपुर प्रवास के दौरान पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान विद्यापीठ, दयोदयतीर्थ, तिलवाराघाट का निरीक्षण किया। यहां की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था की बारीकी से समीक्षा करते हुए उन्होंने इसे आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा और आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अनूठा संगम बताया।
आचार्यश्री का निर्देश और चोधरी का अवलोकन
जबलपुर प्रवास के दौरान आचार्यश्री समयसागरजी महाराज ने हंसराज चोधरी को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे पूर्णायु विद्यापीठ का गहन निरीक्षण करें और वहां की गतिविधियों पर रिपोर्ट तैयार करें। इसे प्रसाद मानते हुए चोधरी ने काय चिकित्सा, पंचकर्म चिकित्सा विभाग, शल्य चिकित्सा विभाग, रसशाला, विभागीय पुस्तकालय, शव संरक्षण व क्रिया शारीर विभाग का विस्तार से अवलोकन किया। चोधरी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि विद्यापीठ से प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को आधुनिक संसाधनों के साथ जोड़कर ‘‘उत्कृष्ट आयुर्वेद स्वास्थ्य चिकित्सकों’’ को तैयार किया जा रहा है। यह प्रयास सनातन चिकित्सा परंपरा को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
छात्रों से संवाद और आयुर्वेद की उपादेयता
निरीक्षण के बाद हंसराज चोधरी ने मेडिकल विद्यार्थियों के साथ एक घंटे का संवाद किया। इस दौरान उन्होंने कैंसर, किडनी और अन्य जटिल रोगों में आयुर्वेद की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद केवल शारीरिक रोगों की चिकित्सा नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को संतुलित रखने वाली जीवन पद्धति है। यही कारण है कि आज भी आयुर्वेद को संपूर्ण स्वास्थ्य का विज्ञान कहा जाता है।
जैन दर्शन और आयुर्वेद का संबंध
जैन दर्शन का मूल सिद्धांत अहिंसा और संयम है। यही सिद्धांत आयुर्वेद की नींव में भी निहित हैं। आयुर्वेद प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा देता है, जबकि जैन धर्म जीव मात्र के कल्याण की शिक्षा देता है। दोनों ही मानवीय जीवन को संतुलन और शांति प्रदान करने पर बल देते हैं। आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के निर्देशन में जब आयुर्वेद और जैन दर्शन का संगम होगा, तब यह चिकित्सा केवल रोगमुक्ति का साधन नहीं बल्कि आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग भी बनेगा।
विद्यापीठ की विशेषताएं
पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान विद्यापीठ की स्थापना आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के निर्देशन में हुई थी और वर्तमान में यह आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के मार्गदर्शन में संचालित है। तीन एकड़ भूमि में फैला यह परिसर पूर्णत प्रदूषण मुक्त है और इसमें 100 बिस्तरों वाला आधुनिक अस्पताल भी है।
विद्यापीठ प्राचार्य प्रो. डॉ. स्वप्निल सिंघई ने जानकारी दी कि यहां छात्रों के समग्र विकास पर विशेष बल दिया जाता है। यह संस्थान केवल चिकित्सा शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि नैतिक और मानवीय मूल्यों को भी जीवन का हिस्सा बनाता है। यही कारण है कि यह संस्थान देश-विदेश के विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित कर चुका है। इस दौरान वैद्य हंसराज को प्राचार्य डा सिंघई के अलावा डा. प्रशांत तुरणकर, डा. गौरव कुमार शहा, डा. निकिता मिश्रा, डा. जीनिता माधवी ने अपने अपने संकाय से संबंधित जानकारी दी।
आयुर्वेद पर होगा राष्ट्रीय सम्मेलन
वैद्य हंसराज चोधरी ने बताया की, कि आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के सान्निध्य में शीघ्र ही नवग्रह आश्रम सेवा संस्थान, मोतीबोर का खेड़ा के तत्वावधान में आयुर्वेद पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें देशभर के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य, शोधकर्ता, दिगम्बर जैन समाज के पदाधिकारी और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सम्मेलन का उद्देश्य आयुर्वेद चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से और अधिक प्रभावी बनाना और समाज तक पहुंचाना होगा। इसके स्थान व तिथि की घोषणा शीघ्र ही आचार्यश्री की ओर से की जायेगी।
अनुसंधान के लिए नवग्रह आश्रम का दौरा करेगा विद्यापीठ दल
पूर्णायु अनुसंधान विद्यापीठ का एक दल आगामी माह नवग्रह आश्रम व वेलनेस सेंटर का दौरा करेगा। यहां दल 487 प्रकार के औषधीय पौधों और वनस्पति चिकित्सा पद्धति का निरीक्षण करेगा। इन औषधीय पौधों से जुड़े अनुसंधान भविष्य की चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
नवग्रह आश्रम के तत्वावधान में होने वाला सम्मेलन और अनुसंधान का कार्य आयुर्वेद को केवल चिकित्सा पद्धति तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि इसे जीवन जीने की समग्र विधा के रूप में स्थापित करेगा। आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के मार्गदर्शन और वैद्य हंसराज चोधरी जैसे विद्वानों की सक्रियता से भीलवाड़ा जिले का नवग्रह आश्रम न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आयुर्वेदिक चिकित्सा और जैन दर्शन का एक प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।