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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जैन समाज के पर्युषण पर्व पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा बड़ी संख्या में त्याग ,तपस्या की झड़ी लग रही है । स्पष्ट वक्ता,छोटे जैन दिवाकर धर्म मुनि म सा ने पर्युषण पर्व के सातवें दिवस पर श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय साधना संस्थान भवन में आयोजित धर्मसभा में प्रवचन देते हुए कहा कि पर्यूषण पर्व मैली आत्मा को उज्ज्वल करने का पर्व है ।जिस प्रकार मैले कपड़े हमें अच्छे नहीं लगते उसी प्रकार मन के मैल के साथ जीवन जीना मोक्ष मार्ग को बंद करना है।ये अवसर हमारी काली आत्मा को स्वच्छ करने का है। शरीर के मैल को तो खुशबूदार पाउडर से छिपा सकते हो पर मन का मैल तो इंद्रियों को वश में करने से मिट सकेगा।इसलिए अपनी आत्मा को मलीन करो।सुख की भी कई विधाएं हैं।भगवान महावीर कहते हैं कि असली सुख मन का होता है। धर्म मुनि म सा ने कहा कि आहार संहिता का भी पालन किया जाना चाहिए।आहार पर नियंत्रण से जीवन सरल हो जाता है। मोह कर्म का नशा है और मोक्ष जीवन का अंतिम सत्य है। दिखावा दुख देता और परेशानी खड़ी करता है।धर्मसभा में केशव मुनि ने प्रवचन में कहा कि जीवन में प्यास का बहुत महत्व है और ये बहुत बड़ी ताकत भी है।प्यास को ही सम्यक दर्शन भी कहा गया है।उन्होंने कंफर्ट जोन छोड़कर स्वयं संकल्प को मजबूत करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि पैसा ही सब कुछ अर्जित नहीं कराता है ।धर्म को धारण करने से बहुत कुछ अर्जित होता है। मीडिया प्रभारी सुधीर जैन ने बताया कि धर्मसभा के आरम्भ में साध्वी रत्न श्री म सा ने अंतगड़ दसांग सूत्र के छठे वर्ग के 15 वें अध्ययन का विस्तृत श्रवण करते हुए एवन्ता मुनि के केवल ज्ञान और केवल दर्शन के प्रसंग को बताते हुए कहा कि संयम का मार्ग कठिन है जिस पर केवल शूरवीर ही आगे बढ़ सकते हैं । उन्होंने कहा कि खुशी बांटी जाती है तो दुगुनी हो जाती है।धर्मसभा में चिराग मुनि,चंद्रेश मुनि एवं साध्वी मंडल विराजित रहे। धर्मसभा का संचालन श्रमण संघ अध्यक्ष किरण डांगी ने किया।
श्रमण संघ महामंत्री राजेश सेठिया के अनुसार निर्मला कर्णावट ने 23 उपवास के और 9 वर्षीय बालक मंथन धाकड़ ने 9 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। बड़ी संख्या में युवक, युवतियों द्वारा तपस्या की जा रही है। बुधवार को जैन संवत्सरी पर्व त्याग और तपस्या की लड़ी के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा। 24 घंटे का नवकार मंत्र निरंतर गतिमान है ।