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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। स्वासो स्वास राम नाम की साधना रामस्नेही सम्प्रदाय के आद्याचार्य स्वामी जी रामचरण जी महाराज के द्वारा प्रदत एक यौगिक क्रिया है जिससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है और आत्म कल्याण भी होता है । "संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है" संत अपना कल्याण भजन करके कर लेते हैं लेकिन उनका मूल उद्देश्य अपने कल्याण के साथ-साथ जग का कल्याण करना होता है l जीवन की कोई भी समस्या हो तो ईश्वर का नाम पूर्ण श्रद्धा के साथ लेकर प्रार्थना करना चाहिए इससे समस्या का समाधान मिल जाता है l जिसके हृदय में श्रद्धा होती है उसी को ज्ञान प्राप्त होता है, शब्द के प्रभाव से हृदय में करुणा जागती है और उसके लिए व्यक्ति को भजन रोज करना चाहिए, जिस प्रकार शरीर को चलाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार आत्मा के लिए भजन आवश्यक है आत्मा का भोजन भजन है l हर प्राणी संसार में अपने प्रारब्ध अनुसार सुख-दुख भोगता है कोई यह नहीं चाहता कि वह दुख भोगे लेकिन फिर भी व्यक्ति को दुख मिलता है हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसे जीवन में सुख मिले लेकिन उसके चाहने पर सुख नहीं मिलता है यह सब उसके कर्मों के अनुसार उसे प्राप्त होता है l व्यक्ति जाने या अनजाने में भी यदि ईश्वर का नाम लेता है तो भी उसको उसका फल उसे मिलता है l यदि जीवन को सार्थक करना है तो राम भजन करना आवश्यक है l भगवत भजन व महापुरुषों की वाणी की साधना करनी चाहिए धर्म को मानना अलग बात है और निभाना अलग बात है दोनों में अंतर है, भजन करो धर्म को मानो लेकिन महापुरुषों के शब्दों को अपने अंत: मन में धारण करो l सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं l सत्य क्या है ? सत्य केवल राम का नाम है व्यक्ति के जीवन में दुख तो आएंगे लेकिन भजन के प्रभाव से दुखों की अनुभूति को कम किया जा सकता है l व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं करना चाहिए समय पर ईश्वर का भजन करना ही जीवन की सार्थकता है l व्यक्ति को सभी धर्मो व पंथ का सम्मान करना चाहिए परंतु ईष्ट एक होना चाहिए और अपने ईस्ट में पूर्ण निष्ठा रखनी चाहिए, कभी भी किसी धर्म या पंथ का अनादर नहीं करना चाहिए व्यक्ति को अपनी भक्ति का अहंकार भी नहीं करना चाहिए, सभी धर्मो का सम्मान करें एवं व्यक्ति को भ्रांतियां में नहीं पढ़ना चाहिए l