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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मेवाड़ की धरती, जो अपने शौर्य, बलिदान और आत्मगौरव के लिए विश्वविख्यात है, रविवार को एक बार फिर अपने वीरों के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हो उठी। श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर ऐतिहासिक चित्तौड़ दुर्ग स्थित भीमलत कुंड पर 2 हजार से अधिक लोगों ने सामूहिक तर्पण कर अपने पितरों के साथ-साथ उन अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
तर्पण कार्यक्रम में पुरुष सहभागी श्वेत, गेरुआ, लाल अथवा केसरिया वस्त्रों में तथा महिलाएं लाल–पीली ओढ़नी धारण कर सम्मिलित हुईं, जिससे पूरा वातावरण श्रद्धा, आस्था और सांस्कृतिक गरिमा से परिपूर्ण रहा। इस अवसर पर प्रन्यास ट्रस्टी श्रवण सिंह राव, डॉ. सुशीला लड्ढा, अरिहंत सिंह चरडास, डॉ. गोपाल जाट, श्याम सिंह हाड़ा, बंशीधर कुमावत, ध्रुव भटनागर, अविनाश शर्मा, निष्ठा नराणियाँ, रवि अग्रवाल, भृगु शर्मा, गोपाल, नीलेश नीलमणि, अरविन्द आमेटा, छत्रपाल सिंह शेखावत, संदीप सेठिया, अरविन्द आमेटा, गोविन्द इनाणी, अर्जुन जूनीवाल, जीवन चौधरी, उमेश अजमेरा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे
इतिहास की गूंज के बीच श्रद्धा का संकल्प
चित्तौड़गढ़ गौरव तीर्थ प्रन्यास के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुरखों और दुर्ग के अमर शहीदों के प्रति कृतज्ञता का भाव जगाना था। प्रन्यास अध्यक्ष पुष्कर नराणिया ने कहा कि चित्तौड़ का इतिहास हमें त्याग, बलिदान और आत्मगौरव की प्रेरणा देता है, और तर्पण के माध्यम से हम उसी परंपरा को आत्मसात करने का प्रयास कर रहे हैं।
पन्ना धाय की विरासत से जुड़ी भावनाएँ
मेवाड़ की त्यागमूर्ति धाय मां पन्ना धाय के पीहर पांडोली गांव से सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मुरोठिया के नेतृत्व में आए 1500 से अधिक ग्रामीण भी इस अवसर के साक्षी बने। उन्होंने अपने पूर्वजों और दुर्ग रक्षार्थ शहीद हुए रणबांकुरों का तर्पण कर उस विरासत को स्मरण किया, जिसने मातृभूमि की रक्षा हेतु स्वयं का सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था।
श्रद्धामय वातावरण और वेदपाठ की ध्वनि
तर्पण कार्यक्रम की शुरुआत यजुर्वेद मंत्रोच्चार के साथ हुई। 21 पंडितों और श्री सांवलिया जी वेद विद्यालय के 21 बटुकों ने आचार्य सुशील मिश्रा और आचार्य सुरेश (चंदेरिया गुरुकुल) के निर्देशन में 108 कुंडीय हवन संपन्न कराया। 108 यजमानों ने जोड़ों सहित आहुति देकर अपने पुरखों और अमर बलिदानियों को नमन किया।