views
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), लुधियाना द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से वित्त पोषित “एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन वृद्धि परियोजना” के अंतर्गत 28-29 सितम्बर 2025 को किसानों के लिए प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
यह कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी ब्लॉक के मान्याश गांव में आयोजित हुए, जिनमें 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान 32 एकड़ क्षेत्र में प्रदर्शनी इकाइयाँ स्थापित की गईं।
किसानों को मक्का की उन्नत, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती पद्धतियों से परिचित कराना तथा मक्का को एथेनॉल उत्पादन हेतु उपयुक्त विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना।
संस्थान के निदेशक डॉ. एच.एस. जाट ने बताया कि “मक्का अब केवल खाद्य फसल नहीं रही, बल्कि एक औद्योगिक फसल के रूप में उभर रही है। भारत में इस वर्ष लगभग 50 मिलियन टन मक्का उत्पादन का अनुमान है। आने वाले वर्षों में उत्पादन और बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि तथा देश की खाद्य एवं जैव ईंधन नीति को सशक्त किया जा सकता है।”
प्रशिक्षण में किसानों को बीज उपचार एवं उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, मक्का में कीट व रोगों की पहचान एवं समन्वित प्रबंधन,
एवं फसल की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने की विधियाँ के संबंध मे विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही आगामी रबी मौसम में मक्का की खेती करने हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम में आईआईएमआर से डॉ. रामनिवास (रिसर्च एसोसिएट) एवं शंकर चौधरी (यंग प्रोफेशनल) उपस्थित रहे।
परियोजना प्रभारी डॉ. शंकर लाल जाट ने बताया कि “इस बार अच्छी वर्षा होने से चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में मक्का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। निकट भविष्य में अन्य चयनित गांवों में भी इसी प्रकार के प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे।” सहायक कृषि अधिकारी अभिषेक चौधरी ने किसानों के साथ उर्वरक प्रबंधन पर सार्थक चर्चा की।