1554
views
views

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थानीय इकाई कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा जनजाति उपयोजना के तहत जनजाति क्षेत्र गांव पायरी, पं.स. बड़ीसादड़ी में सुरक्षित बीज भण्डारण हेतु कोठी वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 40 ग्रामीण कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया। इसके बाद किसानो को बीज भण्डारण हेतु कोठी का वितरण किया गया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी ने कहा कि किसानों को फसल की अच्छी उपज तब प्राप्त होती है, जब फसल के लिए बोए जाने वाला बीज गुणवत्ता से परिपूर्ण हो, मगर किसानों के लिए सबसे मुश्किल काम होता हैं कि फसलों की कटाई के बाद अगले सीजन के लिए बीजों को किस तरह सुरक्षित रखा जाए इसके लिए किसान कई तरह की रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल भी करते हैं, ताकि अगले सीजन तक बीजों को सुरक्षित रखा जा सके। कोठियो में बीज को सुरक्षित एवं उत्तम गुणवत्ता के आधार पर रखा जा सकता है।
केन्द्र की कार्यक्रम सहायक दीपा इन्दौरिया ने कृषको को गेहूं के पौषक मूल्य के बारे में बताते हुए कहा कि गेहूं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है किन्तु गेहूं का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स अधिक होने से कई शारीरिक व्याधियों में इसका प्रयोग न्यूनतम अथवा वर्जित होता है। अतः ऐसी स्थिति महिलाओ को को गेहू के साथ सोयाबीन एवं चना मिलाकर आटे के रूप में प्रयोग करने से गेहूं का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स तुलनात्मक रूप से कम हो जाता है।
अन्त में केन्द्र के कार्यक्रम सहायक दीपा इंदौरिया ने प्रशिक्षण में पधारे सभी कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।