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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। देश की प्रगति के लिए आयकर विभाग कर के माध्यम से राजस्व एकत्रित करता है। विभाग देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार स्तम्भ है। प्रत्येक करदाता की भागीदारी से ही देश में विकास के कार्य संभव हो पा रहे है। ऐसे में आयकर विभाग की और से आईसीएआई, टैक्स बार एसोसिएशन, जिले के सभी उप पंजीयक अधिकारियों, करदाताओं, व्यवसायियों व विभिन्न व्यापारिक संगठनों के लिए आयकर भवन में एसएफटी विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ। इसमें आयकर निदेशक अजेय मलिक (आसूचना एवं आपराधिक अन्वेषण) ने संबोधित किया। सेमिनार में मौजूद सभी को एक साथ इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी। इस संबंध में आ रही समस्याओं का मौके पर ही निराकरण भी किया। अपर आयकर निदेशक प्रवीण कुमार मित्तल ने बताया कि विभिन्न एजेन्सियां अपने वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा विभाग को साझा करती है, जो करदाता के ई-फाइलिंग पोर्टल पर वार्शिक सूचना विवरणी में दिखाई देता है। इससे करदाता को रिपोर्ट किए गए सभी लेन-देन की पहचान करने और अपनी आयकर विवरणी को सही ढंग से दाखिल करने में मदद मिलती है। करदाता द्वारा आयकर विवरणी भरते समय इन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आयकर निदेशालय द्वारा सत्यापन के नोटिस जारी किए जाते है। यदि उस लेनदेन का सत्यापन नहीं होता है तो प्रकरण वापस निर्धारण के लिए प्रस्तावित किया जाता है। इसके तहत करदाता को आयकर कार्यालय में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है। इन सभी का जवाब करदाता द्वारा विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन ही देने होते है। कार्यक्रम में आयकर अधिकारी ने एसएफटी फाइलिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस स्कीम की सफलता विभिन्न रिपोर्टिंग एंटेटी द्वारा समय-समय पर उचित तरीके से फाइलिंग की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। त्रुटि रहित एसएफटी फाइलिंग के बारे में विस्तृत चर्चा की गई तथा सुझाव भी आमंत्रित किए गए। एसएफटी के माध्यम से किस प्रकार विभिन्न एजेन्सियों द्वारा वित्तीय लेनदेन (एसएफटी) का ब्यौरा आयकर विभाग को साझा किया जाता है, जो संबंधित करदाता के ई-फाइलिंग पोर्टल पर वार्शिक सूचना विवरणी में दिखाई देता है। इसको करदाता के द्वारा आयकर विवरणी भरते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आयकर निदेशालय द्वारा ई-सत्यापन स्कीम के तहत नोटिस जारी किए जाते है और यदि उस लेनदेन का सत्यापन नहीं होता है तो प्रकरण आयकर निर्धारण के लिए प्रस्तावित किया जाता है। इसके तहत करदाता को आयकर कार्यालय में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है। इन सभी का जवाब करदाता द्वारा विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन ही देना होता है। आयकर अधिकारी उदयपुर अनिल भम्भानी ने एसएफटी फाइलिंग के दौरान आ रही समस्याओं के बारे में चर्चा की। इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सुझाव मांगे। कार्यक्रम में करदाताओं के वित्तीय लेनदेन, एसएफटी के विवरण सही समय पर एवं सही प्रकार से आयकर विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने से संबंधित जानकारी दी गई। इस प्रक्रिया में आ रही समस्याओं का निराकरण किया गया। इसके साथ ही रिपोर्टिग एंटिटी (आरई) से एसएफटी फॉर्म और डीक्यूआर में संशोधन के लिए सुझाव भी मांगे। सेमिनार में उदयपुर कार्यालय के आयकर निरीक्षक रोहित राज भाटी, राजीव रोशन आयकर निरीक्षक, रविशंकर, अरिहन्त जैन भी उपस्थित थे।