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रात्रि कालीन व्यवस्थाओं से जिम्मेदार और बच्चे नदारद

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश की सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चों को प्रोत्साहन देने का काम करती है। लेकिन इनके क्रियान्वयन के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम महज औपचारिक साबित होते हैं। ऐसा ही मामला इंस्पायर अवार्ड के दौरान सामने आया है। जहां राज्य सरकार एक वोट बच्चे पर रहने रुकने ओर खाने के लिए दो हजार रुपए का खर्च कर रही है। वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार आवासीय व्यवस्था से अपने बच्चों को लेकर गायब है। उसे पर भी बड़ी स्थिति यह है कि नियमों में बच्चों के रुकने की व्यवस्था की बात तो स्वीकार की जा रही है लेकिन पालन को लेकर कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। विद्यालय के कार्यवाहक संस्था प्रधान 121 बच्चों में से में से 15 बच्चों के ही विद्यालय में होने की बात स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में साफ है की लापरवाही के चलते राजकोष को भी चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
यह है मामला
प्रदेश सरकार बच्चों के हुनर को मंच देने के लिए इंस्पायर अवार्ड का आयोजन करती है जिसमें बच्चों को विजेता रहने पर राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है, जो उनके शिक्षण व्यवस्था में काम आए इसके लिए सामाजिक विज्ञान सामान्य ज्ञान जैसे विषय पर बच्चे प्रोजेक्ट बनाते हैं और उनका जिला स्तर पर मूल्यांकन होता है इसके लिए प्रदेश सरकार मोटा बजट भी खर्च करती है। वर्तमान में यह आयोजन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सेंती में किया जा रहा है। जिसमें 121 बच्चे पंजीकृत है और उन बच्चों को रात में आवास व्यवस्था के लिए भी राज्य सरकार ने बजट दिया है यहां व्यवस्था होने के बावजूद बच्चे मौजूद नहीं है और जिम्मेदार अपने स्तर पर बच्चों को लेकर रवाना हो गए हैं। इससे साफ है कि यह सारी व्यवस्था बेकार साबित हो रही है जिसका खर्च राज्य सरकार को वहन करना पड़ेगा। इससे साफ है कि एक और जा रात को उसको चुनाव लगेगा वहीं राज्य सरकार ने सुरक्षित वातावरण में आयोजन करने की जिस मनसा से यह व्यवस्थाएं की है उनको भी पलीता लग रहा है। अंदर खाने सूत्रों का यह कहना है कि विद्यालय के एक प्रकरण के चलते शिक्षकों में तालमेल नहीं है और एक शिक्षक और शिक्षिका के बीच विशेष ताल मेल के चलते विद्यालय का माहौल अंदरूनी स्तर पर सही नहीं है इसके चलते यह स्थितियां बन रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में एक शिक्षक की पत्नी ने अपने पति के विरुद्ध एक अन्य शिक्षिका के साथ गलत संबंध होने के संदर्भ में लिखी शिकायत भी दर्ज करवाई थी और ऐसे में यह माहौल संभव है बच्चों के रहने के लिए उचित नहीं है इसी वजह से यह स्थिति बन रही है। फिलहाल सरकार का यह खर्च केवल औपचारिक साबित हो रहा है।
सभी व्यवस्थाओं की हो निष्पक्ष जांच
राज्य सरकार द्वारा इसी कार्यक्रम का आयोजन के लिए जिस प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है यह स्थिति सामने आने के बाद इससे लगता है कि भोजन आवास और सभी व्यवस्थाओं की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए जिससे कि राजकोष को चूना लगने से बचाया जा सके। मौके पर जब जांच की गई तो कल 15 अभ्यर्थी शिक्षक विद्यालय में मौजूद मिले के लिए की गई थी ऐसे में राजकोष को हुए इस नुकसान की भरपाई कार्यक्रम से जुड़े आयोजकों के वेतन से काटकर की जानी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी स्थितियां दोबारा नहीं बने।
इनका कहना है..
बच्चों के रात में रुकने का नियम है लेकिन संबंधित शिक्षक अपनी जिम्मेदारी पर बच्चों को विद्यालय से लेकर चले गए हैं। सरकार द्वारा पूरी व्यवस्था की गई है।
आशा वर्मा, कार्यवाहक संस्था प्रधान