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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। विद्या निकेतन गांधीनगर में संस्कार केंद्र समिति सम्मेलन संपन्न हुआ, कार्यक्रम में 10 स्थानों से 125 समिति सदस्यों की सहभागिता रही, उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक सत्यनारायण ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीयों के पास धन, वैभव, भौतिक संसाधन तो बढे हैं पर संस्कारों में बहुत कमी आई है, भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है अत: हमें अन्य देशों से अच्छी बातें तो स्वीकार करनी चाहिए परंतु अपने देश की गौरवशाली परंपरा और जीवन मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए। हाथ की अंगूलियों का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी संयुक्त रूप से मिलकर ही किसी भारी वस्तु को उठा सकती है उसी प्रकार संगठित समाज ही सशक्त भारत का आधार है।
प्रांत संस्कार केंद्र प्रमुख प्रभात आमेटा ने विद्या भारती की संघठनात्मक जानकारी देते हुए संस्कार केंद्र के प्रमुख कार्यक्रमों का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि समिति के सहयोग से ही संस्कार केंद्र प्रभावी व परिणामकारी बन सकते हैं।
समापन समारोह में मुख्य वक्ता विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत मंत्री सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ने अपने बौद्धिक में कहा संघ के शताब्दी वर्ष में पांच परिवर्तन सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक शिष्टाचार के माध्यम से समाज परिवर्तन का सभी ने संकल्प लिया है इन सभी बातों की शुरुआत अपने घर से हो, अपना घर आदर्श हिंदू घर बने, प्रतिदिन घर पर परिवार के सभी लोगों का भजन व भोजन साथ हो, घर में सभी सदस्यों के साथ बैठकर साप्ताहिक मंगल संवाद भी होना चाहिए। घर की चिंता के साथ-साथ समाज, राष्ट्र का चिंतन भी हो धीरे-धीरे परिवार में अधिकारों के स्थान पर कर्तव्य बोध हो। कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं अतिथि परिचय जिला संस्कार केंद्र प्रमुख दिनेश चंद्र भट्ट ने रखा, संचालन जीवराज साहू ने तथा अतिथियों का स्वागत महेंद्र सिंह राठौड़ अंबिका प्रसाद जायसवाल एवं अभय सोमानी ने किया।
इस अवसर पर जिला सचिव कैलाश चंद्र शर्मा भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संस्कार केंद्र के बच्चों ने जल संरक्षण एवं सावित्रीबाई फुले के जीवन पर जीवंत नाटिका प्रस्तुत की।
शांति मंत्र से समिति सम्मेलन का समापन हुआ।
