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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ में कुकड़ा रिसोर्ट में लघु उद्योग भारती की महिला इकाई एवं आजोलिया का खेड़ा इकाई के गठन की घोषणा की गई। तथा आकोला एवं कपासन की संयोजक इकाई के रूप में घोषणा की गई। लघु उद्योग भारती के राजस्थान प्रदेश महामंत्री योगेन्द्र शर्मा ने इकाईयों की घोषणा करते हुए चित्तौड़गढ़ महिला इकाई अध्यक्ष अंजली शर्मा, सचिव सुरभी बल्दवा, कोषाध्यक्ष आस्था जैन एवं ओजोलिया खेड़ा इकाई अध्यक्ष राकेश चौपड़ा, सचिव लोकेश सोमानी, कोषाध्यक्ष राकेश खटोड़ के नाम घोषित किए। इसी प्रकार कपासन इकाई संयोजक रमेश विजयवर्गीय, आकोला इकाई संयोजक उदयलाल छीपा एवं चित्तौड़ इकाई अध्यक्ष मनोहर तोषनीवाल, सचिव राकेश पोरवाल, कोषाध्यक्ष पंकज बसेर को बनाया गया। लघु उद्योग भारती राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष शान्तिलाल बालड़ ने नवीन इकाईयों के अध्यक्षों को बधाई दी एवं बताया कि लघु उद्योग भारती उद्योगों में आने वाली समस्याओं के समाधान का प्रयास करती है। उन्होनें कहा कि टी.पी. के कारण पिछले लम्बे समय से उद्यमी परेशान रहते आए हैं परन्तु लघु उद्योग भारती के प्रयासों से इसका समाधान हुआ है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना में एक निदेशक दो इकाईयों में होने पर सरकार की सब्सिडी नहीं मिलती थी, उसका भी इस बार के बजट में समाधान हो गया है। लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा ने नये इकाई अध्यक्षों को बधाई देते हुए सदस्यों एवं इकाईयों से संगठन का विस्तार करने और अधिक सदस्य जोड़ने का आह्वान किया।
चित्तौड़गढ़ विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या ने संस्था के केन्द्रीय नेतृत्व से मांग की कि चित्तौड़ जिले की हजारों एकड़ जमीन जो पहले बिलानाम थी उसे तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर चरनोट में बदल दिया गया था, उसे राज्य सरकार वापस प्रयास कर बिलानाम में बदल देवे तो यहां पर उद्योगों के लिये आसानी से जमीन उपलब्ध हो जायेगी। लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय मंत्री प्रकाशचन्द ने उद्यमियों से परस्पर सहयोग और समन्वय का भाव रखते हुए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर उच्च कोटि के उत्पाद बनाने का आग्रह किया। उन्होनें भारत के स्वर्णिम इतिहास और अतीत के बारे में बताया कि किसी प्रकार दुनियाभर के देशों में भारत से कपड़ा, मसाले, दवाईयां, खाद्यान आदि बेचे जाते थे और उसके बदले में सोना, चांदी लाया जाता था। सैंकड़ों वर्ष पूर्व ही भारत ने जंग नहीं लगने वाला लोहा बनाया था। इसी प्रकार ज्ञान विज्ञान में भारत कितना आगे था, समर्थ था इसका उदाहरण है कि तक्षशिला और नालन्दा में दुनियाभर के छात्र पढ़ने आते थे। वहां 3000 से अधिक आचार्य और तीस हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे। मुगलों के आक्रमण से वहां के पुस्तकालय में आग लगा दी गई तो तीन माह तक पुस्तकें जलती रही थी। उन्होनें कहा कि पिछले दस वर्षों में पुनः उन्नति और समृद्धि का अमृतकाल प्रारम्भ हुआ है जो पांचवी से तीसरी अर्थव्यवस्था और दूसरी के बाद 2047 तक दुनिया की प्रथम अर्थव्यवस्था बनेगा। प्रकाशचन्द ने वर्तमान अमृतकाल का जिक्र करते हुए आगामी कुछ वषों में ही भारत के पुनः समृद्धि के शिखर पर पहुंचने का भरोसा दिलाया। उन्होनें लोगों से समृद्धि के साथ साथ संस्कारवान होने का भी आग्रह किया क्योंकि ऐसे कई उदाहरण है जब समृद्धि तो घर में बहुत है लेकिन संस्कारवान पीढ़ी नहीं होने से घरों में परिवारों में अशान्ति बनी रहती है और परिवार टूट रहे हैं। अतः बच्चों को संस्कार देना अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा, संगठन मंत्री प्रकाशचन्द्र, राजस्थान अध्यक्ष शान्तिलाल बालड़, महामंत्री योगेन्द्र शर्मा, चित्तौड़ प्रान्त अध्यक्ष पवन गोयल, महामंत्री प्रवीण गुप्ता, कोषाध्यक्ष ज्ञान मेहता, राजस्थान उपाध्यक्ष रीना राठोड़, चित्तौड़ प्रान्त उपाध्यक्ष रविन्द्र जाजू, अजय मुन्दड़ा, पिंकी माण्डावत, सह प्रान्त कोषाध्यक्ष सीए शिव झंवर, भीलवाड़ा महिला इकाई अध्यक्ष पल्लवी लढ्ढा, चन्दा मुन्दड़ा, विमला जैन, कमलेश जैन सहित कई उद्यमी उपस्थित थे।
अंत में नवनिर्वाचित महिला अध्यक्ष अंजली शर्मा ने सभी का धन्यवाद दिया।