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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। आयुक्तालय कोलेज शिक्षा विभाग राजस्थान के आदेशानुसार राजकीय कन्या महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ के संस्कृत विभाग और भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र के साथ संस्कृत भारती एवं ऊं तत्सत् पारमार्थिक संस्था चित्तौड़गढ़ जैसी संस्थाओं ने संयुक्त रूप से श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया गया। डॉ श्याम सुन्दर पारीक ने रत्नेश्वर कुण्ड पर श्रावणी कर्म हेतु उपस्थित हुए सभी विप्रजनों एवं सामाजिक नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत दिवस मनाने का प्रारम्भ केन्द्र सरकार द्वारा सन् 1969 से हुआ है। संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम में चित्तौड़गढ़ में अनेक स्थानों पर संस्कृत विषयक कार्यक्रम जैसे संंस्कृत संध्या, संस्कृत प्रवचन, संस्कृत गीत, संभाषण आदि का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ऊं तत्सत् पारमार्थिक संस्था चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित विकास उपाध्याय ने बताया कि देववाणी का महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि प्राचीनकाल में था बस लोगों की मनोवृत्ति और आचार व्यवहार में परिवर्तन हुआ है। संस्कृत भाषा सात्विक आचार विचार एवं आहार व्यवहार पर बल देती है। इसी कारण अनुष्ठान आदि कर्म संंस्कृत भाषा माध्यम से ही होते हैं। आज भी भारत में पूजन पद्धति, गुरुकुल शिक्षण पद्धति एवं भारतीय ज्ञान परम्परा की प्रधान भाषा संस्कृत ही है। इस अवसर पर पधारें सांसद चित्तौड़गढ़ सीपी जोशी ने डॉ श्याम सुन्दर पारीक को माला पहनाकर राज्य स्तरीय विद्वत् सम्मान युवप्रतिभा हेतु बधाई भी दी। कार्यक्रम में संस्कृत भारती चित्तौड़गढ़ के जिला सह संयोजक विक्रम सिंह राठौड़, नगर मंत्री भृगु कुमार शर्मा, अमर विकास समिति चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष हेमेंद्र कुमार सोनी, आचार्य रजनीश दाधीच, पं कौशल सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन जयतु भारतम् जयतु संस्कृतम् के उद्घोष के साथ हुआ।