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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), लुधियाना द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय वित्तपोषित एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन वृद्धि परियोजना के अंतर्गत बुधवार को चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं ब्लॉक के पारसोली गांव में किसानों के लिए प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में 65 से अधिक किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को मक्का की उन्नत, टिकाऊ एवं पर्यावरण अनुकूल खेती पद्धतियों से अवगत कराना था। इस अवसर पर किसानों को मक्का के जैव-ईंधन (एथेनॉल) उत्पादन हेतु उपयुक्त विकल्प के रूप में महत्व समझाया गया।
आईआईएमआर के निदेशक डॉ. एच.एस. जाट ने बताया कि मक्का अब केवल खाद्य फसल नहीं रही, बल्कि औद्योगिक फसल के रूप में उभर रही है, जिसका उपयोग बड़े स्तर पर एथेनॉल जैसे जैव-ईंधन उत्पादन में हो रहा है। इस वर्ष भारत में लगभग 50 मिलियन टन मक्का उत्पादन होने का अनुमान है, जिसे और बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और देश की खाद्य व जैव-ईंधन नीति को मजबूती मिले।
परियोजना प्रभारी डॉ. शंकर लाल जाट ने बताया कि यह परियोजना देश के 15 राज्यों में संचालित है। दक्षिण राजस्थान में अच्छी वर्षा होने से इस वर्ष मक्का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। कार्यक्रम में आईआईएमआर के डॉ. रामनिवास (रिसर्च एसोसिएट) ने किसानों को बीज उपचार, कीट एवं रोग पहचान, प्रबंधन और समन्वित नियंत्रण विधियों की जानकारी दी तथा आगामी रबी और बसंत कालीन मक्का की खेती हेतु प्रेरित किया।
इसी क्रम में आईआईएमआर के कृषि प्रोफेशनल शंकर चौधरी ने उर्वरक एवं खरपतवार प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया। आगामी दिनों में परियोजना के अंतर्गत चयनित अन्य गांवों में भी इसी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में पायोनियर से अजय त्यागी, कृषक साथी मदनलाल बैरागी और एफपीओ संचालक प्रहलाद जी भी उपस्थित रहे।