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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। पंचायत समिति भवन स्थित सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला चित्तौड़गढ़ एवं गायत्री सेवा संस्थान, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सरकारी एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के एक दिवसीय बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुनील कुमार गोयल ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर गोयल ने बताया कि राजस्थान प्रदेश में सरकार एवं पुलिस विभाग की सक्रियता के चलते विगत वर्षों में कई मामलों में न केवल बंधुआ श्रमिक उन्मूलन अधिनियम, 1976 एवं मानव दुर्व्यापार अंतर्गत ठोस कार्यवाही हुई है बल्कि बंधुआ मुक्ति प्रमाण पत्र जारी कर पुनर्वास पर भी कार्य हुए हैं। परंतु समाज से इस कलंक को पूर्ण रूप से मिटाने हेतु अभी भी सामूहिक एवं सतत् प्रयास की आवश्यकता है। इस दिशा में विभिन्न हित धारको की सामूहिक एवं सकारात्मक भूमिका पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास एवं दोषियों की पहचान में मददगार हो सकती है। बंधुआ मजदूरी मुक्त समाज हेतु सामूहिक प्रयास आवश्यक है। इनमें सरकारी एवं स्वयं सेवी संस्थाओं की सामूहिक भूमिका पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास एवं दोषियों की पहचान में मददगार साबित होती है एवं रालसा व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित योजनाओं के तहत भी सहयोग और विधिक सहायता प्रदान की जा रही है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गायत्री सेवा संस्थान के निदेशक एवं बाल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या द्वारा राजस्थान के संदर्भ में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा पर प्रस्तुति देते हुए राजस्थान के संदर्भ में आ रही चुनौतियो, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास एवं विभिन्न विभागों की भूमिका पर जानकारी दी गई । डॉ. पंड्या ने बताया कि अन्य कानूनों की अपेक्षा बंधुआ श्रमिक अधिनियम अंतर्गत पुनर्वास में विशेष आर्थिक सहायता पीड़ितों को मिलने हेतु प्रावधान है। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक मुकेश सांखला ने बताया की समाज से इस कलंक को मिटाने के लिए सामाजिक मुद्दों पर आमजन को भी जागरूक करना होगा एवं साथ ही पुलिस अपने आस-पास कोई भी मानव ट्रेफिकिंग या बंधुआ मजदूरी की जानकारी मिलने पर सख्त कार्यवाही को अंजाम देगी। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के प्रतिनिधि अधिवक्ता जॉन जेम्स ने बंधुआ श्रमिक उन्मूलन अधिनियम, 1976 एवं मानव दुर्व्यापार संबंधित कानून प्रावधान एवं विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी । इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण इकाई, उपनिदेशक ओम प्रकाश तोशिनीवाल, बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ की अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल, विशेषज्ञ मामूनी ख़ान ने राजस्थान प्रदेश में हुए रेस्क्यू अभियान की जानकारी देते हुए पीड़ित को मिले मुआवजे एवं लाभ की जानकारी दी । कार्यशाला में बंधुआ श्रमिक पर बनी लघु फिल्म राईस फैक्ट्री को दिखाया गया जिनके माध्यम से बंधुआ श्रमिक पहचान के विभिन्न सूचक एवं रिपोर्टिंग की गोपनीयता की महत्वता को स्पष्ट किया गया एवं साथ ही केस स्टडी, संवाद सत्र और कानूनी प्रक्रियाओं पर खुली चर्चा भी की गई। प्रतिभागियों को जानकारी दी गई की समाज में किस प्रकार इन मुद्दों पर जागरूकता फैलाई जा सकती हैं । कार्यशाला में जिले के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि, पुलिस विभाग, चाइल्ड लाइन एवं गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि उपस्थित रहे । कार्यशाला का संचालन आशिता जैन एवं धन्यवाद गायत्री सेवा संस्थान के जिला समन्वयक अमित राव ने दिया । इस दौरान जिला विधिक प्राधिकरण टीम की ओर से पैनल अधिवक्ता भारती गहलोत एवं अधिवक्ता संदीप सेठिया भी कार्यक्रम मेें उपस्थित रहे।