views

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। मानवता की मिसाल पेश करते हुए टीम जीवनदाता के संस्थापक धीरज धाकड़ ने रात 12 बजे रक्तदान कर 17 वर्षीय बच्चे की जिंदगी बचाई। देर रात जिले के निजी चिकित्सालय में उपचाररत डेंगू बुखार से पीड़ित 17 वर्षीय शिवम् शर्मा की लगातार प्लेटलेट्स कम होने से चिकित्सकों द्वारा तुरंत प्लेटलेट्स की आवश्यकता बताई परिजनों ने देर रात ब्लड बैंक में सम्पर्क किया लेकिन ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स उपलब्ध नहीं होने पर परिजनों ने टीम जीवनदाता के संस्थापक धीरज धाकड़ को कॉल पर डोनर की आवश्यकता बताई और मदद के लिए कहा तो धीरज तुरंत रात 12 बजे इंसानियत का फर्ज निभाने बिना विलंब के अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे और अपना 20 वी बार रक्तदान कर बच्चे को नई जिंदगी दी।
धीरज धाकड़ ने कहा — “रक्तदान सबसे बड़ा मानवीय दान है यह ईश्वर की सच्ची सेवा पूजा है ।
अगर हर व्यक्ति वर्ष में एक बार भी रक्तदान करे, तो किसी को खून की कमी से भटकना नहीं पड़ेगा जिससे रोगी की समय पर जान बचायी जा सकेगी ।”
गौरतलब है कि टीम जीवनदाता पिछले 8 वर्षों से चित्तौड़गढ़ और आसपास के क्षेत्रों गांवों में रक्तदान जैसे सामाजिक कार्यों में सक्रिय है। संगठन अब तक हजारों रक्त यूनिट्स जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध करा चुका है और हजारों जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा चुका है। टीम के सदस्य दिन-रात किसी भी आपात स्थिति में तैयार रहते हैं।
इस मानवीय कार्य के लिए परिवारजनों ने धीरज का आभार जताया। स्थानीय लोगों ने कहा कि टीम जीवनदाता जैसे संगठन समाज के लिए प्रेरणा हैं, जो “रक्तदान — महादान” के संदेश को सच्चे अर्थों में जीवन में उतार रहे हैं।