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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण दिवाली की तिथि को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं दिवाली की सही तिथि सहित अन्य जानकारी
श्री महंत चंद्र भारती जी महाराज ने बताया कि
दिवाली हिंदू धर्म के प्रमुख और सबसे आनंदमय त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घरों को दीपक, मोमबत्तियों व रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को घी के दीपों से रोशन किया था। तभी से इस दिन दीप जलाने और खुशियां मनाने की परंपरा चली आ रही है। दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा भी की जाती है। यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि किस दिन लक्ष्मी पूजा करना शुभ होगा। आइए जानते हैं
महंत श्री चंद्र भारती जी महाराज से किस दिन दिवाली का पर्व मनाना होगा शुभ…मुहूर्त चिंतामणि चमत्कार चिंतामणि
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर में 3 बजकर 45 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में दीपावली के मौके पर निशिता काल में पूजा की जाती है। इसलिए
दिवाली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मानी जाएगी।
कुंभ लग्न मुहूर्त (अपराह्न) – 15:44 से 15:52
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 20 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 8 मिनट तक
वृषभ लग्न- शाम 6 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक
सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 01:26 से 03:41, अक्टूबर 21
कुछ पंचांग में 21 अक्टूबर को भी दीपावली मनाई जाएगी शाम 5: बजकर 55 मिनट को अमावस्या दीपावली खत्म हो जाएगी ऐसे में सुबह से लेकर शाम तक भी पूजा कर सकते हैं फैक्ट्री वाले ऑफिस वाले वाहन पूजा भी कर सकते हैं
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 19 अक्टूबर को शाम 1 बजकर 51 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।
प्रमुख त्योहारों में दिवाली का नाम सबसे ऊपर आता है। पूरे साल लोग इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। दिवाली सिर्फ रोशनी और पटाखों का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दौरान लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, रंगोली सजाते हैं, दीये जलाते हैं और नए सामान की खरीदारी करते हैं। दिवाली केवल एक दिन का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। हर दिन का अपना धार्मिक महत्व और अलग पूजन-विधान होता है। पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर। इन पांच दिनों में मुख्य आकर्षण माता महालक्ष्मी की पूजा होती है, जो कार्तिक अमावस्या की रात में की जाती है। इस दिन लोग घर-आंगन में दीप जलाकर अंधकार को दूर करते हैं और धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। आइए जानते हैं, इस साल धनतेरस, छोटी दिवाली, महालक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की तारीखें और शुभ मुहूर्त।
धनतेरस: दिवाली की शुरुआत का दिन। माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा होती है। लोग नए बर्तन, सोना और गहने खरीदते हैं। इस साल धनतेरस शनिवार 18 अक्टूबर को है।
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 7:16 से 8:20 बजे तक
प्रदोष काल: 5:48 पी एम – 8:20 पी एम ok
वृषभ काल: 7:16 पी एम – 9:11 पी एम
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर पर विजय का प्रतीक। स्नान और पूजा कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। 2025 में छोटी दिवाली सोमवार 19 अक्टूबर को पड़ेगी।
दिवाली: मुख्य दिवाली। भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने का उत्सव। घरों को दीयों और रंगोली से सजाया जाता है। शाम को लक्ष्मी और गणेश पूजा होती है। 2025 में महालक्ष्मी पूजन सोमवार 20 अक्टूबर को होगा।
अमावस्या तिथि आरंभ: 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 7:08 से 8:18 बजे तक
प्रदोष काल: 5:46 पी एम – 8:18 पी एम
वृषभ काल: 7:08 पी एम – 9:03 पी एम
गोवर्धन पूजा: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। 2025 में गोवर्धन पूजा बुधवार 22 अक्टूबर को होगी। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों की रक्षा की थी। इस दिन अन्नकूट बनाकर गोवर्धन की पूजा की जाती है।प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर शाम 8:16 बजे
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त: 6:26 ए एम – 8:42 ए एम