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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राज्य सरकार द्वारा आमजन को शासन की योजनाओं का लाभ स्थल पर ही उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आयोजित “ग्रामीण सेवा शिविर 2025” न केवल प्रशासनिक पहुँच का उदाहरण बना, बल्कि वर्षों से अधूरी उम्मीदों को साकार करने का माध्यम भी साबित हुआ।
ऐसे ही दो उदाहरण ग्राम पंचायत फाचर अहिरान और ग्राम पंचायत मांगरोल के हैं, जहाँ दशकों से अपने मकान में निवासरत परिवारों को आखिरकार भूमि स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हुआ।
फाचर अहिरान की लालीबाई को मिला 40 साल बाद पट्टा
निम्बाहेड़ा उपखण्ड की ग्राम पंचायत फाचर अहिरान निवासी श्रीमती लालीबाई पत्नी गुड्डू भील पिछले चार दशकों से अपने पुश्तैनी मकान में रह रही थीं। भूमि का स्वामित्व दस्तावेज न होने से वे वर्षों से आवासीय पट्टा प्राप्त नहीं कर पा रही थीं।
जब उन्हें “ग्रामीण सेवा शिविर” की जानकारी मिली, तो उन्होंने शुक्रवार 17 अक्टूबर को आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर के दौरान आवेदन प्रस्तुत किया। ग्राम पंचायत द्वारा संवेदनशीलता और तत्परता दिखाते हुए आवश्यक कार्यवाही की गई और शिविर के दौरान ही उन्हें उनके आवासीय मकान का वैध पट्टा माननीय विधायक श्रीचंद कृपलानी, जिला प्रमुख गब्बर अहीर, उपखण्ड अधिकार विकास पंचोली एवं विकास अधिकारी लक्ष्मणलाल खटीक की उपस्थिति में सौंपा गया।
भावुक लालीबाई ने पट्टा प्राप्त करते हुए कहा “यह सिर्फ एक कागज़ नहीं, बल्कि मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अब मुझे अपने घर पर गर्व महसूस हो रहा है।”
मांगरोल की रामकुंवर को मिला पुश्तैनी घर का स्वामित्व
इसी तरह ग्राम मांगरोल निवासी रामकुंवर पत्नी कैलाश सिंह राजपूत भी करीब 40 वर्षों से अपने घर में निवासरत थीं। स्वामित्व दस्तावेज के अभाव में वे अपने घर का पट्टा नहीं बनवा पा रही थीं।
“ग्रामीण सेवा शिविर 2025” की जानकारी मिलते ही उन्होंने आवेदन प्रस्तुत किया, जिस पर प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए उनके आवासीय मकान का वैध पट्टा प्रदान किया। रामकुंवर ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा “यह मेरे परिवार की वर्षों पुरानी चिंता का अंत है। अब हमारा घर सच में हमारा हो गया है।”
शिविर के दौरान में जिला प्रमुख गब्बर सिंह अहीर, प्रधान बगदीराम धाकड़, पूर्व उपप्रधान अशोक जाट, उपखण्ड अधिकारी विकास पंचोली, विकास अधिकारी लक्ष्मणलाल खटीक, सरपंचगण, जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।