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सीधा सवाल। राशमी। उपखंड क्षेत्र में करीब 25 किलोमीटर लंबाई में बहने वाली बनास नदी में पानी का बहाव थमा तो एनोकटो एवं काजवो की दुर्दशा की स्थिति सामने आई । करीब ढाई महीने तक बहे पानी ने नदी के बहाव क्षेत्र में आवागमन के लिए बने करीब एक दर्जन काजवे की संरचनाओं को प्रभावित किया है। कई जगह काजवे में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं । जिससे राहगीरों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें मुख्य रूप से उपखंड क्षेत्र की व्यापारिक मंडी माने जाने वाले पहुंना कस्बे का क्षेत्र की करीब आधा दर्जन ग्राम पंचायतों से संपर्क अभी भी कटा हुआ है। जिससे आसपास के ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए पहुना जाने के लिए भी लंबा चक्कर लगा कर जाना पड़ रहा हे। मातृकुंडिया बांध के गेट अंतिम बार 14 अक्टूबर को खोल कर बनास में पानी की निकासी की गई थी। बनास नदी में पानी थमे करीब एक पखवाड़ा बितने को आया है । क्षेत्र के सिंहाना, ऊंचा, नेवरिया, भालोटां की खेड़ी, बावलास सहित कई गावों से आने वाले राहगीर ऊंचा के निकट बनास नदी पर बने काजवे से होकर पहुंना पहुंचते है। लेकिन गत 27 अगस्त को सोमी के निकट बनास नदी में कार बहने की हुई दुर्घटना के बाद प्रशासन ने बनास नदी पर बने काजवे को दोनों तरफ मिट्टी का अवरोध लगाकर आवागमन के लिए बंद कर दिया था। तब से ही ऊंचा काजवे पर भी आवागमन बंद है। वहीं नदी में प्रचंड वेज से पानी बहने से इस काजवे पर भी बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। राज्य सरकार के निर्देशों के बावजूद भी आपदा प्रबंधन के तहत प्रशासन काजवे की मरम्मत नहीं करा पाया है। जिससे दर्जनों गांवों का संपर्क अभी तक पहुंना कस्बे से कटा हुआ है। ग्रामीणों ने काजवे को तत्काल दुरुस्त कराकर आवागमन के लिए खोले जाने की मांग की है।
इनका कहना है -
सार्वजनिक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंता भैरूलाल जाट ने बताया कि आपदा प्रबंधन में भेजे गए डिमांड पर अभी तक कोई स्वीकृति नहीं मिली है। फिर भी आवागमन की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऊंचा काजवे की शीघ्र ही मरम्मत करवाकर आवागमन के लिए खोला जाएगा।