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सीधा सवालl। चिकारड़ा। पिछले 45 घंटे से लगातार बरसी बारिश ने क्षेत्र के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। किसान वर्ग जहां एक और अपनी फसलों को लेकर हुए नुकसान का कच्चा चिट्ठा सरकार के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। और हकीकत भी यही है की बरसात में लगातार बरसते हुए खेतों में पानी भर दिया वहीं कटी फसलों को बहा कर ले गया। तो जमीन के गीली होने से बड़े-बड़े पेड़ भी धरा शाही हो गए । तो विद्युत लाइन के पोल भी पेड़ गिरने से टूट कर जमी दोज हो गए तो उन पर लगाए गए ट्रांसफार्मर भी नीचे गिर पड़े। उक्त हादसा जेतपुरा के निकट हुआ। लेकिन बरसात बरसाने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ। लगातार बरसात के चलते नदी नालों एनीकट की चादर चलने लगी। पिछले 5 सालों में जिन तालाबों में पानी एकत्रित नहीं हुआ था उन तालाबों में की रपट भी चलने लगी। तो इधर वागन नदी के साथ नपावली की नदी भी अपने वेग में बहने लगी । सारंगपुरा एनीकट के साथ हनुमानघाट एनीकट भी अपने रफ्तार के साथ बहने लगे। इन सभी नदी नालों के साथ पानी की आवक होने से जो सुखे नलकूप खेतों में लगे हुए थे। उनमें से ऑटोमेटिक पानी के फव्वारे बाहर निकलने लगे। तो कुएं में भी पानी की आवक इतनी हुई की हाथ से लेकर पानी पिया जा सकता है। तो वागन डैम में भी पानी की आवक के चलते ढाई मीटर के लगभग पानी पहुंच चुका है। किसने की माने तो इस बरसात से जहां एक और किसानों को नुकसान हुआ है वही आने वाली फसल को लेकर भी फायदा भी पहुंचा है। वैसे इस सीजन की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है तो मवेशियों के लिए चारा भी पूरी तरह नष्ट हो चुका है। लगातार बरसात से घर की छते कवेलू तिरपाल भी पानी को नहीं रोक पाए। और छते टपकती रही। 45 घंटे बाद बुधवार को हल्के बादल छटने के साथ सूर्य निकला ग्रामीणों ने चैन की राहत ली। इस लगातार बरसात के चलते मौसम में परिवर्तन हुआ और एकाएक सर्दी छा गई ग्रामीण रजाई कंबल के साथ दिन में गर्म कपड़ों का उपयोग करते देखे गए। यहां यह और बता दे की जमीन में पानी उतरने से विभिन्न जीव जंतुओं के बिल में पानी भरने से बाहर निकल आए । हालांकि किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। ग्रामीण किसान अफीम की खेती में बुवाई को लेकर भी चिंतित दिखाई दिया। वहीं खेतों में हुए नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग भी रखी।