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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राजकीय कन्या महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ में भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र, संस्कृत विभाग और वनस्पति विज्ञान के संयुक्त तत्वावधान में आंवला के आयुर्वेदिक एवं वानस्पतिक गुणों पर एकदिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन महाविद्यालय प्रांगण में स्थित आंवला वृक्ष के नीचे किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्राचार्य डॉ गौतम कुमार कूकड़ा द्वारा आंवले के वृक्ष के रक्षासूत्र एवं क्यू आर कोड बांधकर किया गया। भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र के नोडल अधिकारी डॉ श्याम सुन्दर पारीक ने आंवले के आयुर्वेदिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आंवले को आयुर्वेद में आमलकी, आदिफल, अमरफल एवं धात्रीफल के नाम से जाना जाता है। षट्खण्डात्मक फल एवं षट्कोणात्मक बीज के बीजू, कलमी एवं जंगली भेदों के औषधीयों गुणों के बारे में बताते हुए डॉ पारीक ने बताया कि आंवला कफ पित्त वात रूपी त्रिदोषनाशक,अग्नि दीपक, पाचक, नाड़ी और इन्द्रिय वर्धक, पित्त नाशक, छर्दिहर हिचकी रोधक, गर्भवती स्त्री आदि हेतु वमन रोधक, डिस्पेप्सिया पित्त वमन रोधक, पीलीया, अपच, पैत्तिक शिरोशूल, मूत्रावरोध, बालों में रूसी, बवासीर, हृदय रोगी, क्षय रोग, शरीर शोथ अर्थात् सूजन, कुष्ठ रोगी, मधुमेह एवं अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल आदि रोगों में लाभदायक है।
कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता के रूप में प्राचार्य डॉ गौतम कुमार कूकड़ा ने आवंला नवमी के सांस्कृतिक, वानस्पतिक एवं सामाजिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं को अपने भोजन में इसके उपयोग की आवश्यकता बताई। उन्होंने महाविद्यालय परिसर में लगे आवंला वृक्षों और ऊपर लगे आंवलो को छात्राओं को प्रत्यक्ष दिखाते हुए आंवले की वानस्पतिक गुणों, वैज्ञानिक नाम, इसकी प्रकृति, पोषण, रोग सामाजिक एवं दैनिक जीवन में उपयोग की जानकारी देते हुए कहा कि भारत का ज्ञान विज्ञान इतना मजबूत था कि आज भी घर घर में आंवला एवं इसके बने अचार, मुरब्बा आदि उत्पादों का संरक्षण किया जाता है। आंवला बच्चों, महिलाओं, प्रौढ़ जनों एवं वृद्धजनों सबके लिए उपयोगी है।आंवला नवमी जैसे सामाजिक कार्यक्रम वृक्ष, पादप एवं पर्यावरण के प्रति प्रेम को बढ़ाता है। कार्यक्रम के अन्त में डॉ इरफान अहमद ने कन्या काॅलेज में लगे आंवले उपस्थित समुदाय को वितरित करते हुए इनका दैनिक जीवन में उपयोग करने की शिक्षा दी। कार्यक्रम में डॉ सीएल महावर, डॉ लोकेश जसोरिया, रेखा मेहता, डॉ अंजु चौहान, जयश्री कुदाल, शंकर बाई मीणा, डॉ प्रीतेश राणा, डॉ गोपाल लाल जाट, दिव्या कुमारी चारण एवं महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं।