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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
69 वे राज्य स्तरीय स्कूल टूर्नामेंट में हुई बास्केटबॉल प्रतियोगिता में अब तक भले ही विभाग ने कोई जांच कमेटी गठित नहीं की है। लेकिन सीधा सवाल की कबर का असर हुआ है। खेल के मठाधीशों की वर्चस्व की लड़ाई के चलते हुए अधिक खर्च की अवैध रूप से वसूली के मामले में समाचार प्रकाशन होने के बाद संबंधित विद्यालयो में खेलों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के सहभागिता प्रमाण पत्र आखिर विद्यालय में पहुंच गए हैं। जो अब विद्यार्थियों को मिलने जा रहे हैं। जिला स्तर पर शुरुआत से ही विवादों में रहा यह खेल अब साबित कर रहा है कि उप जिला शिक्षा अधिकारी आजाद पठान और उनके चहेतों द्वारा जमकर मनमानी की गई है जिसकी उच्च स्तरीय जांच होना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों नियमानुसार समय पर टीम का चयन नहीं हो पाया और किसकी शह पर इन खिलाड़ियों से वसूली करने की तैयारी की गई थी। इन सवालों का जवाब फिलहाल नहीं मिल पाया है लेकिन समाचार प्रकाशन के बाद खेल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के प्रमाण पत्र उन तक पहुंचाने का रास्ता साफ हो गया है।
आखिर क्यों रुके रहे प्रमाण पत्र कब होगी जांच
अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में श्री गंगानगर में आयोजित प्रतियोगिता में चित्तौड़गढ़ जिले की 17 एवं 19 वर्ष आयु वर्ग की बालिका टीम ने भाग लिया था। इसी दौरान अन्य प्रतियोगिताओं में भी विद्यार्थियों ने भाग लिया था जिनके प्रमाण पत्र उनके पास पहुंच गए। लेकिन बालिका वर्ग की टीमो के प्रमाण पत्र रोक लिए गए। टीम के साथ दल प्रभारी बन कर गए शारीरिक शिक्षक महिपाल सिंह के पास यह प्रमाण पत्र होने की जानकारी सामने आई थी साथ ही यह भी सामने आया था कि समय पर टीम नहीं बनने के चलते व्यक्तिगत वाहन किराए कर ले जाया गया। इससे खर्चे में बढ़ोतरी हो गई लेकिन नियमों के अनुसार यह राशि नहीं ली जा सकती थी इसलिए प्रमाण पत्र रोके गए। बाद में समाचार प्रकाशन के बाद यह प्रमाण पत्र पहुंचे हैं। ऐसे में लगभग 1 महीने तक आखिर क्यों इन प्रमाण पत्रों को वितरित नहीं किया गया यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है। जांच होने पर ही यह स्पष्ट हो सकता है कि आखिर किसके इशारे पर यह पूरा खेल खेला गया।
जमकर हुई मठाधीशों की जंग
बास्केटबॉल के मामले में इस खेल के मुख्य निर्णायक सुरेश चंद्र शर्मा, मुख्य सूची में निर्णायक के रूप में शामिल दलपत सिंह, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक सूर्य प्रकाश गर्ग के बीच जमकर विवाद हुआ। अंतिम समय तक चयन सूची का निर्णय नहीं हो पाया बाद में खेल के नोडल अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार शर्मा एवं जिला कलेक्टर आलोक रंजन के हस्तक्षेप के बाद समाधान हुआ और बिना दिनांक की सूची जारी की गयी। सूचना के अधिकार में भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक के सूचना के अधिकार की जिम्मेदारी देख रहे कार्मिक रूप किशोर गुप्ता द्वारा बिना सत्यापन की सूचना देने का प्रयास किया गया। कई तरह की गड़बड़ियों के बाद जैसे तैसे टीम पहुंची तो वसूली के लिए प्रमाण पत्र रोक लिए गए। टीम के जाने से पहले भी लगभग एक सप्ताह तक सितंबर माह में वर्चस्व की जंग चलती रही। जबकि नियमों की बात की जाए तो जिला स्तरीय टूर्नामेंट संपन्न होने के 2 दिन बाद सूची बन जानी चाहिए। लेकिन जिले में बास्केटबॉल के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इससे साफ जांच होने पर ही सामने आप आएगा कि आखिर सूची में किस प्रकार की गड़बड़ी करने के लिए यह विवाद हुआ। लेकिन विभाग के जिम्मेदार मठाधीशों के विरुद्ध जांच करने से परहेज कर रहे हैं।
पूरे कुएं में भांग कैसे हो जांच
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय माध्यमिक में दो अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी कार्यरत हैं। जिनकी नाक के नीचे यह पूरा खेल चलता रहा। यहां तक की नियम विरुद्ध जारी की गई सूचियो के बारे में यह दोनों जिम्मेदार अधिकारी मुक दर्शक बन कर बैठे रहे। जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यभार कार्यवाहक रूप में होने के चलते अधिकांश दस्तावेजों पर दोनों अधिकारियों ने हस्ताक्षर किये। लेकिन सूचना के अधिकार के मामले में मानो दोनों ही अधिकारी आजाद पठान और रूप किशोर गुप्ता को शह देते प्रतीत हो रहे हैं। 17 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक सूचना के दस्तावेजों को प्रति हस्ताक्षर नहीं किया जाना यह साबित करता है कि इस पूरे कार्यालय में पूरे कुएं में भांग होने की कहावत चरितार्थ हो रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के पारदर्शी प्रशासन के दावे धूल खाते प्रतीत हो रहे हैं। खुली मनमानी यह साबित कर रही है कि अधिकारी भी विशेष कृपा दृष्टि के चलते यहां पदस्थापित हुए है। और ऐसे में मुकदर्शक बनकर अपनी नौकरी बजा रहे हैं।